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कोलकाता, 05 फरवरी । पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष के खिलाफ उचित कार्रवाई करे। संदीप घोष पर वित्तीय अनियमितताओं और अस्पताल के मुर्दाघर में अज्ञात शवों के साथ दुर्व्यवहार करने के गंभीर आरोप हैं।
जांच में सामने आया है कि घोष कथित रूप से उन अज्ञात शवों के अंगों की बिक्री में शामिल थे, जो पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल लाए जाते थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी जांच में पाया कि 2021 से प्रति वित्तीय वर्ष औसतन 60 शवों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया था।
अगस्त 2023 में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद इस पूरे मामले ने तूल पकड़ा। जांच के दौरान अस्पताल में एक कथित “नेक्रोफिलिया पोर्न रिंग” के संचालन की भी बात सामने आई, जिसमें संदीप घोष और उनके करीबी सहयोगियों की भूमिका होने की आशंका जताई गई।
सीबीआई की चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि संदीप घोष ने टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर कर निजी ठेकेदारों को काम दिलाया और राज्य लोक निर्माण विभाग को दरकिनार कर सीधे ठेके दिए। जांच में यह भी पाया गया कि घोष के प्राचार्य बनने के बाद उनकी संपत्ति और परिसंपत्तियों में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई।
इस मामले में संदीप घोष के अलावा चार अन्य आरोपित भी न्यायिक हिरासत में हैं, जिनमें उनके सहायक और अंगरक्षक अफसर अली, निजी ठेकेदार बिप्लब सिन्हा और सुमन हाजरा, तथा जूनियर डॉक्टर आशीष पांडे शामिल हैं।