कोलकाता,4 फरवरी। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मदन मित्रा ने मंगलवार को चुनावी रणनीतिकार संगठन आई-पैक पर “वसूली” और पार्टी की छवि खराब करने का आरोप लगाने के बाद माफी मांग ली। उनके बयान ने तृणमूल के भीतर विवाद पैदा कर दिया था।

मित्रा, जो पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और वर्तमान में विधायक हैं, ने मीडिया से बातचीत के दौरान आई-पैक पर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने तृणमूल के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बक्शी को पत्र लिखकर खेद प्रकट किया। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके बयान से पार्टी को नुकसान पहुंचा है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इससे “आहत” हुई हैं।

उन्होंने पत्र में लिखा कि मैं पार्टी से अनुरोध करता हूं कि मेरे इरादों को गलत न समझते हुए मुझे माफ कर दे।

मित्रा ने पुष्टि की कि उन्होंने स्वेच्छा से यह माफीनामा लिखा है और उन पर पार्टी की ओर से ऐसा करने का कोई दबाव नहीं था।

मित्रा ने एक स्थानीय समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में आई-पैक पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि यह संगठन “अवसरवादियों” को पार्टी में आगे बढ़ाकर ममता बनर्जी की छवि खराब कर रहा है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि आई-पैक अपने पेशेवर दायरे से बाहर जाकर पार्टी के नेताओं के व्यक्तिगत व्यवहार तक को नियंत्रित कर रहा है।

बंगाली समाचार चैनलों से बात करते हुए कमरहटी के विधायक मित्रा ने कहा था कि ममता बनर्जी के नाम पर कभी कोई दाग नहीं लगा, लेकिन अब उनकी छवि पर जो धब्बा लगा है, वह ‘पैकवालों’ (आई-पैक के सदस्यों) की वजह से है।

गौरतलब है कि जब आई-पैक ने तृणमूल के साथ काम शुरू किया था, तब भी इस एजेंसी पर कई तरह के आरोप लगे थे।

2021 के विधानसभा चुनावों से पहले, बंगाल के कई ग्रामीण इलाकों में आई-पैक के खिलाफ नाराजगी देखी गई थी। कई वरिष्ठ तृणमूल नेताओं ने आई-पैक पर “हस्तक्षेप” और “हद से ज्यादा दखल” देने का आरोप लगाया था।

कुछ नेताओं का मानना था कि आई-पैक पार्टी के भीतर “समानांतर संगठन” या “पार्टी के अंदर पार्टी” बना रही है। इस संदर्भ में मित्रा के आरोप नए नहीं हैं। मदन मित्रा के बयान को लेकर तृणमूल कांग्रेस में अलग-अलग राय है।

पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष का मानना है कि मित्रा की बातों पर वरिष्ठ नेताओं को विचार करना चाहिए। वहीं, राज्य के वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हकीम का कहना है कि इस तरह के मुद्दों पर पार्टी के भीतर ही चर्चा होनी चाहिए।