नई दिल्ली, 22 जनवरी । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की सफलता लिंग अनुपात, संस्थागत प्रसव और लड़कियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में पर्याप्त सुधार से स्पष्ट है। भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक बालिका को वह देखभाल और अवसर मिले जिसकी वह हकदार है ताकि वह कल की नेता बन सके। सरकार ने महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य को भी शामिल करते हुए होलिस्टिक एप्रोच के साथ कल्याण को सुनिश्चित किया गया है।
नड्डा बुधवार को विज्ञान भवन में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना के दस साल पूरे होने के मौके पर बोल रहे थे। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्र की महिलाओं और बच्चों को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि साल 2014 से पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की योजनाएं अकेले क्रियान्वित होती थीं, लेकिन मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के योजनाओं एवं कार्यक्रमों में दूसरे मंत्रालयों की भी भागीदारी सुनिश्चित की गई है। सरकार के होलिस्टिक एप्रोच से योजनाओं के क्रियान्वयन प्रभावशाली तरीके से सफल होती है। उन्होंने कहा कि लिंगानुपात के संतुलन बनाने के लिए पीसी पीएनडीटी एक्ट के तहत गंभीर प्रयास किए गए। पिछले दस सालों में प्रति हजार पुरुषों में महिलाओं की संख्या 930 हो गई है। जो साल 2014-15 में 918 थी।
महिलाओं के संपूर्ण सशक्तीकरण के लिए शिक्षा पर जोर देते हुए नड्डा ने कहा कि देश को हीनता से नहीं देखना चाहिए। इतिहास में महिलाओं ने देश पर राजा बन कर राज किया, स्कोलर बनी और कुरुतियों से भी लड़ी। इसलिए हमें अपने गौरवपूर्ण इतिहास को न भूलते हुए लड़ाई पूरी ताकत के साथ लड़ना और भावी पीढ़ी के लिए विकास के नैरेटिव को सेट करना होगा। महिलाओं को बदलाव का एम्बेसडर बनना होगा। उन्होंने गर्भ में लिंग जांच को रोकने पर पीएनडीटी एक्ट के सख्ती से क्रियान्वयन पर जोर देते हुए कहा कि तेजी से विकसित हो रही नई तकनीक की निगरानी बेहद जरूरी है और इसकी चिंता पिछले दिनों हुई बैठक में की गई। बच्चों के पोषण के लिए आंगनवाड़ी केन्द्रों में दिए जाने वाले आहार को जानना भी बेहद जरुरी है और आज के बच्चों को इन केन्द्रों में जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि साल 2014 में एक लाख गर्भवती महिलाओं में से प्रसव के दौरान 130 महिलाओं की मौत हो जाती थी लेकिन आज यह संख्या घट कर 97 पर आ गई है। इसी तरह नवजात बच्चों में मृत्युदर पहले 1000 बच्चों में 39 थी जो अब घटकर 28 हो गई है। वैश्विक स्तर पर बच्चों में मृत्युदर की कमी 60 फीसदी है लेकिन भारत में यह 75 फीसदी है। यह केन्द्र सरकार की नीतियों का असर है।
इस मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बीबीबीपी के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर देते हुए कहा कि यह योजना सामाजिक बदलाव के लिए उत्प्रेरक बन गई है। उन्होंने कहा, “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पहल एक सरकारी योजना से बढ़कर एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन गई है। इस 10 साल की यात्रा ने बालिकाओं की स्थिति में सुधार लाने और यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र विकास के लिए समान अवसर मिल रहा है। महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर ने इस योजना द्वारा लाए गए सांस्कृतिक बदलाव पर प्रकाश डाला। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ महिलाओं के उत्थान के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है।
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने मिशन वात्सल्य, मिशन शक्ति नामक पोर्टल की शुरुआत की। इसके साथ उन्होंने विभिन्न राज्यों में महिलाओं और बाल कल्याण के लिए चलाए जा रहे अच्छी पहल की एक बुकलेट भी जारी की। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के दस साल पूरे होने के मौके पर कार्यक्रम 22 जनवरी से शुरू होकर 8 मार्च तक चलेंगे। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हरियाणा के पानीपत में भारत में लिंग असंतुलन और घटते बाल लिंगानुपात को खत्म करने के लिए शुरू किया गया था।