पर्दे के पीछे रहकर हमारी सशस्त्र सेनाओं को मजबूत करते हैं सिविलियन : राजनाथ

नई दिल्ली, 17 जनवरी । भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को डीआरडीओ भवन के डॉ. डीएस कोठारी ऑडिटोरियम में ‘नौसेना नागरिकों का वर्ष’ कार्यक्रम मनाया। मुख्य अतिथि के रूप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए और समारोह में ‘नौसेना नागरिकों’ की उल्लेखनीय उपलब्धियों और योगदानों को प्रदर्शित किया गया। नौसेना नागरिकों के कार्य, जीवन और कहानियों को उजागर करने वाली तस्वीरों और पेंटिंग्स की एक प्रदर्शनी में उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाओं और उपलब्धियों की झलक पेश की गई।

उद्घाटन समारोह में रक्षा मंत्री ने कहा कि 2024 को ‘नौसेना सिविलियन वर्ष’ के रूप से मनाना एक अनोखी पहल थी, जिसके लिए भारतीय नौसेना की भूमिका सराहनीय है। नौसेना के कई महत्वपूर्ण संगठन, जैसे कमांड मुख्यालय, डॉकयार्ड, सामग्री संगठन, नौसेना आयुध डिपो, प्रशिक्षण प्रतिष्ठान आदि में हमारे नागरिक ही हैं, जो नौसेना के स्थिर बुनियादी ढांचे की नींव रखते हैं। हमें समुद्र में जहाज दिखते हैं, विमान वाहक जहाज दिखते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें समुद्र में जहाज दिखते हैं, विमान वाहक जहाज दिखते हैं। ये सारी चीजें सामने दिख जाती हैं, लेकिन जो हम नहीं देखते, वो हैं हमारे अनगिनत इंजीनियरों और श्रमिकों की मेहनत। ये लोग हमेशा पर्दे के पीछे रहकर काम करके हमारी सशस्त्र सेनाओं को हमेशा ताकत प्रदान करते हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना आज अगर इनोवेशन के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रही है, तो उसके लिए अनुसंधान और विकास कार्य में सिविलियन की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। आप चाहे वर्दी में हों या वर्दी के बिना हों, इसमें कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं है। इसलिए राष्ट्र सेवा के व्यापक परिप्रेक्ष्य में हर जिम्मेदार नागरिक बिना वर्दी वाला सैनिक होता है। समय के साथ-साथ हमारी सेनाओं की जटिलताएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसा दुनिया भर में रक्षा-सुरक्षा का माहौल लगातार तनावपूर्ण होने की वजह से हो रहा है।अगर हम इस पूरे दशक का रक्षा एवं सुरक्षा परिप्रेक्ष्य से आकलन करें, तो लगभग आधा दशक बीत जाने के बाद हम ये कह सकते हैं कि यह एक प्रकार से अस्थिर दशक रहा है। पूरी दुनिया में अलग-अलग क्षेत्रों में हमें कई सारे संघर्ष और युद्ध देखने को मिल रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें अपनी क्रिटिकल कैपेबिलिटी को बढ़ाना होगा और आने वाले समय में अपने आक्रामक और रक्षात्मक, दोनों ही प्रतिक्रियाओं को मजबूत करने की ओर ध्यान देना होगा। इन सबमें योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है और इस योजना प्रक्रिया में परामर्शी दृष्टिकोण रखकर सभी हितधारकों से सलाह ली जानी चाहिए। इस योजना प्रक्रिया में हमारे नौसैनिकों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत को ज्यादातर लोग उसकी विशाल भूमि सीमाओं के कारण एक उपमहाद्वीप के रूप में जानते हैं, लेकिन अगर हम थोड़ा ध्यान दें, तो भारत एक द्वीप राष्ट्र के रूप में भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। भारत की आर्थिक समृद्धि इस देश की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हुई है। इसके लिए यह जरूरी है कि हमारे क्षेत्रीय जल की रक्षा की जाए, नेविगेशन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करके हमारे समुद्री राजमार्गों को सुरक्षित रखा जाए।———-