अशोकनगर, 09 नवंबर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने दृढ़ता के साथ दोहराया कि वे देश में जाति आधारित जनगणना के पक्ष में हैं और पार्टी की सरकार बनने पर ऐसा होकर ही रहेगा। राहुल गांधी अनेक अवसरों पर  जाति आधारित जनगणना का समर्थन कर चुके हैं।

राहुल गांधी ने गुरुवार को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अशोकनगर जिले में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चाहे जो भी हो जाए, देश में जाति आधारित जनगणना होकर रहेगी और इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), दलित और आदिवासी वर्ग को उनका हक दिलाया जाएगा।

गांधी का कहना है कि वर्तमान में ओबीसी, दलित और आदिवासियों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह यह है कि देश में इनकी संख्या कितनी है, इसके बारे में वास्तविक स्थिति पता नहीं है। जाति आधारित जनगणना होने पर यह स्थिति साफ हो जाएगी और फिर तीनों वर्गों को उनकी संख्या के हिसाब से उनके साथ न्याय किया जाएगा।

गांधी ने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि वे अंग्रेजी भाषा भी सीखें। ग्लोबलाइजेशन (वैश्वीकरण) का दौर है और इसलिए इस भाषा का अपना महत्व है। साथ ही उन्होंने कहा कि वे यह भी कहते हैं कि युवाओं को हिंदी भी बहुत अच्छे से सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता हिंदी भाषा में पढ़ाई की बात करते हैं, लेकिन अपने बच्चों को शानदार अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाते हैं।

उन्होंने कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक में हुए कार्यों को गिनाया और कहा कि मध्यप्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार बनने पर इन कामों को यहां भी किया जाएगा। गांधी ने कहा कि किसानों के कर्जे माफ किए जाने के साथ ही काफी रियायती दरों पर बिजली और रसोईगैस सिलेंडर लोगों को मुहैया कराए जाएंगे। गरीबों, किसानों और महिलाओं के कल्याण के काम भी होंगे। राजस्थान की तर्ज पर स्वास्थ्य सुविधाएं इस राज्य के लोगों को मुहैया करायी जाएगी।

गांधी ने केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीतियों की आलोचना की और कहा कि ये सिर्फ बड़े और कुछ उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे हैं। गरीब, किसान और युवाओं के हित भाजपा की प्राथमिकता में शामिल नहीं हैं।

मध्यप्रदेश में सभी 230 सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 17 नवंबर को एक ही दिन होगा। इसके लिए चुनाव प्रचार अभियान जोर पकड़ चुका है और यह 15 नवंबर की शाम को समाप्त हो जाएगा। मतों की गिनती तीन दिसंबर को होने के साथ ही नयी सरकार के गठन को लेकर तस्वीर भी साफ हो जाएगी।