अगरतला, 09 नवंबर। त्रिपुरा में विपक्ष के नेता अनिमेष देबबर्मा ने गुरुवार को आरोप लगाया कि भाजपा के शीर्ष नेताओं के बेहद करीबी कुछ लोगों की मदद से राज्य के संसाधनों को बाहर ले जाया गया है।

देबबर्मा ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य भर में विकास परियोजनाओं को प्रदर्शित करने वाले विशाल आकर्षक होर्डिंग्स लगाए जा रहे हैं, जो केवल पोस्टरों में दिखाई देते हैं और हकीकत में कुछ भी नहीं दिखता है। पहाड़ियों में लोग पर्याप्त भोजन का प्रबंध नहीं कर पा रहे हैं। त्रिपुरा से बाहर भाग रहे हैं। भाजपा के शासन में बच्चों को बेचने की घटनाएं घटित हो रही हैं।

उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों में 50,000 रिक्त पदों को तत्काल भरने की मांग करते हुए कहा कि त्रिपुरा के लोगों के लिए रोजगार और व्यवसाय का दायरा बढ़ाने जानी चाहिए तथा राज्य से धन के बहिर्वाह को रोकने के लिए एक योजना बनानी चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने सरकारी क्षेत्र में रोजगार के दायरे को कम कर दिया है और निजी क्षेत्रों तथा उद्योगों को विकसित करने में विफल रही है। वहीं ज्यादातर सरकारी टेंडर बाहरी लोगों को दिए जा रहे हैं, जिनका राज्य तथा दिल्ली के भाजपा के शीर्ष नेताओं से संबंध है। उन्होंने कहा कि सभी ठेके बाहरी फर्मों और व्यक्तियों को दिए जा रहे हैं, जिससे त्रिपुरा के लोगों को वंचित किया जा रहा है।

देबबर्मा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा के कैबिनेट सदस्यों और कुछ अन्य भाजपा नेताओं के इशारे पर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के ठेकेदारों को त्रिपुरा के सभी प्रमुख काम मिल रहे हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। उन्होंने दावा किया कि मतदाता भाजपा के जोड़-तोड़ के खेल को समझने में सक्षम हैं और यह सरकार ताश के पत्तों की तरह गिर जाएगी। बस गिनती के दिन बचे हैं। त्रिपुरा के लोगों के वोट से निर्वाचित होकर भाजपा राज्य के लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भूल गई है, बल्कि बाहरी लोगों के हितों की रक्षा के लिए पूरी लगन से काम कर रही है।

देबबर्मा ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा वर्तमान सरकार पर छोड़े गए कर्ज के बोझ के लिए वाम मोर्चा सरकार पर आलोचनात्मक टिप्पणियां करती रहती है, लेकिन तथ्य यह है कि वर्तमान सरकार के तहत कर्ज का बोझ कई गुना बढ़ गया है। वर्तमान में, कर्ज़ की राशि वाम मोर्चा सरकार द्वारा छोड़ी गयी बकाया राशि से दोगुनी है। उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। विभिन्न पुलिस थानों के पुलिस अधिकारी स्वयं प्राप्त शिकायतों के न्यायेतर निपटान को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दरवाजे पर सुशासन अभियान वस्तुतः दरवाजे पर अत्याचार में बदल गया है।