कोलकाता, 26 दिसंबर । वर्ष 2024 में पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बीच विकास की राह पर अग्रसर रही। एक तरफ राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 10.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ राष्ट्रीय औसत 7.32 प्रतिशत से आगे रहा, वहीं दूसरी तरफ उद्योगों के पलायन और वित्तीय समस्याओं ने चिंताएं बढ़ाईं। राज्य की वित्त मंत्री चन्द्रिमा भट्टाचार्य के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र ने 7.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो देश के औसत से अधिक रही। न्यू टाउन में 426 करोड़ रुपये की लागत से इंफोसिस ने अपने नए केंद्र का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे राज्य के लिए नया साल का तोहफा बताया और आईटी क्षेत्र में और निवेश की उम्मीद जताई।
श्याम स्टील और धुनसेरी पॉलिफिल्म्स ने 2,100 करोड़ रुपये के निवेश से अपने प्रोजेक्ट शुरू किए, जिनसे पांच हजार से अधिक रोजगार सृजित होंगे। राज्य सरकार ने न्यू टाउन में 200 एकड़ का सिलिकॉन वैली प्रोजेक्ट भी शुरू किया है, जिससे 27 हजार करोड़ रुपये का निवेश और 75 हजार नौकरियां मिलने की उम्मीद है।
सूक्ष्म उद्योग और नौकरियां
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र ने भी मजबूत प्रदर्शन किया है। 2024-25 में 1.53 लाख करोड़ रुपये का ऋण लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वर्ष के 1.42 लाख करोड़ रुपये से 7.7 प्रतिशत अधिक है।
हालांकि, राज्य में कंपनियों के पलायन की समस्या गहरी हो रही है। वर्ष 2019 से 2024 के बीच दो हजार 227 कंपनियां, जिनमें 39 सूचीबद्ध कंपनियां भी शामिल हैं, अपने कार्यालय बंगाल से अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर चुकी हैं।
राज्य की जीडीपी में वर्ष 1960-61 में 10.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जो 2023-24 में घटकर 5.6 प्रतिशत रह गई। वित्तीय प्रबंधन में भी सुधार की जरूरत है। वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में राजस्व व्यय में 13.5 प्रतिशत वृद्धि हुई, लेकिन पूंजी व्यय केवल 7.7 प्रतिशत बढ़ पाया।
आगे की योजना
राज्य सरकार फरवरी 2025 में बंगाल वैश्विक व्यापार सम्मेलन आयोजित करेगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे राज्य में निवेश आकर्षित करने का बड़ा अवसर बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य को प्रशासनिक सुधार और व्यापार के अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में तेजी से काम करना होगा, ताकि निवेशकों का विश्वास बढ़ाया जा सके और औद्योगिक पलायन रोका जा सके।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम बंगाल को संतुलित और सतत विकास के लिए नीतिगत सुधार और दीर्घकालिक रणनीति पर काम करना जरूरी है।