कोलकाता, 23 दिसंबर । वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में पश्चिम बंगाल का राजकोषीय प्रदर्शन राजस्व और पूंजीगत व्यय के बीच बढ़ते असंतुलन को दर्शाता है। यह जानकारी रेटिंग एजेंसी केयरएज की रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का राजस्व व्यय साल-दर-साल 13.5 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि पूंजीगत व्यय केवल 7.7 प्रतिशत बढ़ा, जो बजट में तय लक्ष्यों से काफी कम है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रधान मुख्य सलाहकार और वित्त विभाग के प्रमुख अमित मित्रा ने हाल ही में बताया था कि राज्य का पूंजीगत व्यय 2010-11 में 2,226 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 35,865.55 करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य तक पहुंच गया है।
केयरएज की रिपोर्ट में बताया गया कि 2024-25 की पहली छमाही में शीर्ष 20 राज्यों ने अपने बजट के 41.5 प्रतिशत राजस्व व्यय का उपयोग किया, जो पिछले वर्ष की पहली छमाही के 40 प्रतिशत उपयोग से अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया कि चुनावी वादों को लागू करने जैसे कदम, जिसमें मुफ्त सुविधाएं, आय सहायता और ऋण माफी शामिल हैं, इन असंतुलनों का मुख्य कारण हो सकते हैं।
पश्चिम बंगाल का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.7 प्रतिशत था, जो 15वें वित्त आयोग द्वारा सुझाए गए तीन प्रतिशत की सीमा से अधिक है। यह राज्य को देश के शीर्ष 20 राज्यों में उच्च घाटे की श्रेणी में रखता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि देश के शीर्ष 20 राज्यों का औसत राजकोषीय घाटा उनके जीडीपी का 2.9 प्रतिशत है, जबकि पश्चिम बंगाल की स्थिति ऊंचे राजस्व व्यय और अपेक्षा से कम पूंजीगत व्यय की वजह से चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में इन 20 प्रमुख राज्यों ने देश के 93 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व किया। रिपोर्ट में राजस्व व्यय में मजबूती दिखी, लेकिन पूंजीगत व्यय में सुस्ती को लेकर चिंताएं जताई गईं, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास और दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव पड़ सकता है।