ओंकार समाचार

कोलकाता, 25 नवंबर। हावड़ा के फोरशोर रोड स्थित लक्ष्मी विलास गार्डन में आगामी 13 दिसम्बर से पद्मविभूषण तुलसीपीठाधीश्वर जगदुरु रामानंदाचार्य श्री रामभद्राचार्य श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करेंगे। महाराजश्री के कथा प्रवचन के साथ ही108 विप्र मदभागवत के मूल पाठ का वाचन करेंगे।

यह जानकारी महापुराण आयोजन समिति (प. बंगाल) के सोमनाथ अडूकिया ने विक्रमविहार के कम्युनिटी हाल में आयोजित एक सभा में दी। अडूकिया ने बताया कि सात दिवसीय इस भव्य कार्यक्रम का शुभारंभ विशाल कलश यात्रा के साथ होगा। कथा के दूसरे दिन सुंदरकांड भक्त मंडल के सदस्य सुंदरकांड का सामूहिक पाठ करेंगे। इसी दिन महाराजश्री की आज्ञा से विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की जायेगी।

महाराज श्री का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए अडूकिया ने बताया कि आपका जन्म उत्तरप्रदेश के जौनपुर में 1950 में मकर सक्रांति के पुण्यदिवस पर राजदेव सच्ची देवी मिश्रा के घर में हुआ था। दृष्टिहीन होने के बावजूद आपने अल्पायु में वेद, पुराण, उपनिषद जैसे ग्रंथो को कंठस्थ कर लिया था। वर्तमान में लगभग 22 भाषाओं के ज्ञाता महाराज जी ने मात्र आठ बर्ष की आयु में गीता एवं रामायण जैसे ग्रंथों पर अपनी पकड़ बना ली थी।

महाराजश्री को मात्र एक घंटे के अल्प समय में 100 श्लोक बनाने की विद्या हासिल है। अयोध्या के रामजन्मभूमि मंदिर की स्थापना में आपकी महती भूमिका रही है। सर्वोच्च न्यायालय में आप द्वारा प्रस्तुत 441 साक्ष्यों ने निर्णय में मुख्य भूमिका अदा की।

चित्रकूट में तुलसीपीठ की स्थापना, तुलसी प्रज्ञाचक्षु बधिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जगदूरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, राघव गोशाला तथा राजकोट के श्री गीता ज्ञान मंदिर की स्थापना में आपकी महवपूर्ण भूमिका रही है।

स्वच्छता अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मनोनीत नवरत्नों में आप प्रथम सदस्य रहे हैं। सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान एवं धार्मिक, सामाजिक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका के चलते आपको विश्व भर के विभिन्न पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है। आपको विश्वधर्म संसद, शिकागो द्वारा धर्मचक्रवर्ती, मध्यप्रदेश संस्कृति एकेडमी की ओर से राज्यशेखर पुरस्कार, संपूर्णानंद संस्कृति विद्यालय, वाराणसी की ओर से कविकुलरत्न, लालबहादुर शास्त्री संस्कृति विद्यापीठ, नई दिल्ली की ओर से महामहोपाध्याय, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा अवधरत्न, महामहिम राष्ट्रपति द्वारा वादरमण एवं सुप्रसिद्ध ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्‍मानित किया जा चुका है।

धार्मिक एवं सामाजिक सेवाओं में आपके अग्रणी योगदान की महत्ता को स्वीकार करते हुए आपको देश के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।

सभा में अशोक शर्मा ने बताता कि रामभद्राचार्य जी के आगमन की सूचनामात्र से ही सभी सनातन प्रेमियों एबम संस्थाओं में खुशी की लहर है। श्यामसुंदर चांडक ने इस आयोजन को हावड़ा वासियों के लिए सौभाग्यसूचक बताया। देवकीनंदन शर्मा, रमाकांत देवड़ा, महावीर अग्रवाल, विजय दाधीच, रामावतार बिहानी, राम अवतार झुनझुनवाला, विनोद अग्रवाल, भंवरलाल शर्मा ने इस आयोजन को भव्यता प्रदान करने हेतु सभी से तन, मन, धन से सहयोग करने की अपील की।

 

इस अवसर पर कैलाश बल्देवा ने ‘बिनु हरिकृपा मिले नही संता चौपाई को उल्लेखित करते हुए कहा कि ईश्वरीय कृपा के कारण ही श्री रामभद्राचार्य जी जैसे महान संत के सान्‍निध्य एवं कथा श्रवण का सौभाग्य हमे प्राप्त हो रहा है। ललित सिंधी ने कहा कि ऐसे आयोजन में सहभागिता का अवसर जीवन में एकाध बार ही मिल पाता है।

समिति के अतिरिक्त सुंदरकांड भक्त मंडल, नमो नमो नारायणी, श्री श्याम मंदिर, आलम बाजार, कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी, संस्कृति प्रचार समिति, लायंस क्लब ऑफ कोलकाता, ब्रबॉर्न रोड एवं विप्र फाउंडेशन इस आयोजन में सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं।