इस्लामाबाद, 28 नवंबर । पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के तेवर अब और गरम हो गए हैं। संघीय राजधानी के डी-चौक पर ‘करो या मरो’ विरोध प्रदर्शन के खत्म होने के बाद पार्टी के बड़े नेता और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर के संवाददाता सम्मेलन ने हुकूमत की चिंता बढ़ा दी है। एआरवाई न्यूज चैनल की खबर के मुताबिक, डी-चौक पर विरोध प्रदर्शन के लिए पहुंचे पीटीआई के काफिले का नेतृत्व कर कल शाम लौटे गंडापुर ने अपने प्रांत की खूबसूरत घाटी मानसेहरा में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शहबाज हुकूमत पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हुकूमत इस मुगालते में मत रहे कि आंदोलन खत्म हो गया है। इस्लामबाद में हुकूमत ने निहत्थे पीटीआई कार्यकर्ताओं पर जुल्म की इंतहा की है। उन्हें गोलियों से भूना है। इससे कोई डरने वाला नहीं है। पीटीआई का देशव्यापी धरना बंद नहीं होगा। वह जारी रहेगा। अली अमीन गंडापुर ने कहा कि पीटीआई ने हमेशा कानून और लोकतंत्र की सर्वोच्चता को कायम रखते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा पीटीआई प्रमुख इमरान खान को जेल में डाल दिया गया है। आठ फरवरी के चुनाव में पीटीआई का जनादेश चुरा (छीन) लिया गया। इसके खिलाफ जुबान खोलने की बड़ी कीमत अदा करनी पड़ रही है। अन्याय का शांतिपूर्ण विरोध करने पर गोलियों से भुनवाया जा रहा है। पीटीआई नेता और मुख्यमंत्री गंडापुर ने साफ किया कि जब तक पार्टी की मांगें पूरी नहीं की जातीं तब तक धरना जारी रहेगा। उन्होंने घोषणा की कि पीटीआई के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए (शहीद) प्रत्येक कार्यकर्ता के परिवार को 10 मिलियन रुपये प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि वह निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा करने से बाज आए। जियो न्यूज चैनल के अनुसार, डी-चौक पर शांति के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राजधानी में संघीय कैबिनेट बैठक को संबोधित किया। उन्होंने पीटीआई का नाम लिए बगैर उसपर निशाना साधा। शहबाज ने मुल्क को आंदोलन की राजनीति से छुटकारा दिलाने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कड़े फैसले लेने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि “हमें यह तय करना होगा कि हम पाकिस्तान को बचाएंगे या धरने की अनुमति देंगे।”