कोलकाता, 26 नवंबर। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित नियुक्ति घोटाले में एक बड़ा मोड़ आया है। मंगलवार को हुगली के बर्खास्त तृणमूल नेता शांतनु बंद्योपाध्याय को कलकत्ता हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। उन्हें ईडी ने इस घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। न्यायमूर्ति शुभ्रा घोष की एकल पीठ ने शांतनु को मंगलवार शर्तों के साथ जमानत देने का निर्देश दिया।
हालांकि, ईडी के मामले में जमानत मिलने के बावजूद, मंगलवार को शांतनु को विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया जाएगा। सीबीआई ने सोमवार को “कालीघाट के काका” के नाम से चर्चित सुजयकृष्ण भद्र और शांतनु को अदालत में पेश करने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे विशेष अदालत ने मंजूर कर लिया। माना जा रहा है कि सीबीआई दोनों को अपनी हिरासत में लेने की मांग कर सकती है।
नियुक्ति घोटाले में शांतनु की भूमिका
मार्च 2023 में, हुगली के पूर्व तृणमूल युवा नेता शांतनु को नियुक्ति घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले के एक अन्य आरोपित तापस मंडल के बयान के बाद सबसे पहले कुंतल घोष और फिर शांतनु का नाम सामने आया। तापस ने शांतनु और कुंतल को नियुक्ति घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता बताया था।
ईडी की जांच के दौरान शांतनु के घर से प्राथमिक शिक्षक पद के उम्मीदवारों की एक सूची बरामद की गई थी। इस सूची में राज्य के 17 जिलों के कुल 346 नाम शामिल थे। चार्जशीट के मुताबिक, शांतनु ने 26 उम्मीदवारों को नौकरी दिलाने के लिए 1.39 करोड़ रुपये की अवैध रकम ली थी। इसके बाद, इन पैसों को अलग-अलग खातों के जरिए सफेद करने की कोशिश की गई।
ईडी की चार्जशीट में शांतनु और उनकी पत्नी की कंपनी पर सुजयकृष्ण के साथ धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया गया है। चार्जशीट के अनुसार, सुजयकृष्ण ने शांतनु की पत्नी की कंपनी को 40 लाख रुपये देकर जमीन खरीदी थी। लेकिन उन्हें न तो जमीन सौंपी गई और न ही जमा की गई रकम वापस की गई।
ईडी के मामले में जमानत मिलने के बाद अब सीबीआई की भूमिका अहम हो गई है। ऐसा माना जा रहा है कि सीबीआई शांतनु को हिरासत में लेकर उनसे गहन पूछताछ करना चाहती है। नियुक्ति घोटाले की इस कड़ी में आगे क्या होता है, यह जांच की दिशा और घोटाले में जुड़े अन्य नामों पर निर्भर करेगा।