कोलकाता, 25 नवंबर। कोलकाता और आसपास के इलाकों में रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक स्तर तक गिर गया। ठंड की शुरुआत के साथ प्रदूषण के असर ने हालात और गंभीर बना दिए। रविवार शाम तक कोलकाता के छह निगरानी केंद्रों में से चार में एक्यूआई स्तर 213 से 269 के बीच रिकॉर्ड किया गया। यह स्तर “बैंगनी” या “बहुत अस्वस्थ” श्रेणी में आता है, जिसमें सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है।

दो केंद्रों पर एक्यूआई 176 और 190 दर्ज हुआ, जो “लाल” या “अस्वस्थ” श्रेणी में है। इसमें सामान्य लोग भी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर सकते हैं, जबकि संवेदनशील समूहों को गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं।

दक्षिण कोलकाता के बालीगंज केंद्र पर सबसे खराब एक्यूआई 269 रिकॉर्ड किया गया, जबकि जादवपुर केंद्र पर सबसे बेहतर 176 रहा।

हावड़ा जिले के हालात और चिंताजनक हैं। घुसुरी केंद्र पर एक्यूआई 338 और दसनगर केंद्र पर 321 दर्ज किया गया, जो “गहरा लाल” या “खतरनाक” श्रेणी में आता है। इस श्रेणी में सभी के लिए स्वास्थ्य आपातकाल की चेतावनी होती है। बेलूर मठ केंद्र पर एक्यूआई 244 दर्ज किया गया, जो “बहुत अस्वस्थ” श्रेणी में है।

पर्यावरण विशेषज्ञ सोमेन्द्र मोहन घोष ने कोलकाता की खराब वायु गुणवत्ता के लिए पिछले दो दशकों में पूर्वी कोलकाता वेटलैंड्स में हुए अवैध भराव को जिम्मेदार ठहराया है।

उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को इस अवैध भराव के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है। उनका कहना है कि अगर ये गतिविधि नहीं रुकीं तो कोलकाता जल्द ही “गैस चैंबर” में बदल जाएगा और प्रदूषित पानी से भर जाएगा।

उन्होंने पत्र में लिखा, “रैमसर साइट पर हो रहा यह अवैध भराव एक पर्यावरणीय अपराध है। कोलकाता के फेफड़े और गुर्दे पूरी तरह चोक हो चुके हैं।”

उल्लेखनीय है कि पूर्वी कोलकाता वेटलैंड्स को 19 अगस्त 2002 को रैमसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड घोषित किया गया था।