कोलकाता, 20 नवंबर। पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और अन्य चार लोगों की जमानत याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट के दो जजों के बीच मतभेद हो गया है। इसके चलते मामला अब हाई कोर्ट की तीसरी बेंच को भेजा गया है, जो जमानत पर अंतिम निर्णय लेगी।

नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी, सुबीरेश भट्टाचार्य, अशोक साहा, कल्याणमय गांगुली और शांतिप्रसाद सिन्हा की जमानत पर जस्टिस अरिजीत बंद्योपाध्याय और जस्टिस अपूर्व सिंह राय के बीच सहमति नहीं बन पाई। जस्टिस अरिजीत ने सभी की जमानत को मंजूरी दी, लेकिन जस्टिस अपूर्व ने इसका विरोध करते हुए इन पांचों की जमानत पर असहमति जताई।

नियुक्ति घोटाले में एजेंट के रूप में काम करने के आरोप में गिरफ्तार कौशिक घोष, शेख अली इमाम, सुभ्रतो सामंत राय और चंदन उर्फ रंजन मंडल की जमानत पर दोनों जज सहमत हुए। इन्हें अब जमानत मिल गई है।

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने इस मामले को हाई कोर्ट की तीसरी बेंच के पास भेजने का निर्देश दिया है। अब यह बेंच तय करेगी कि पार्थ चटर्जी और उनके साथियों को जमानत मिलेगी या नहीं।

पार्थ चटर्जी ने पहले भी कई बार जमानत के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन हर बार उनकी याचिका खारिज कर दी गई। अप्रैल 2024 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। इसके बाद उन्होंने सीबीआई के मामले में जमानत की अपील की थी। इस मामले की सुनवाई लगभग छह महीने तक चली और अब इसका फैसला बुधवार को सुनाया गया।

ईडी ने पार्थ चटर्जी को 23 जुलाई 2022 को नियुक्ति घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। उनके नाकतला स्थित घर और अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट्स पर छापेमारी के दौरान करोड़ों की नकदी, विदेशी मुद्रा और सोने के गहने बरामद हुए थे। अर्पिता मुखर्जी को भी ईडी ने गिरफ्तार किया था। दोनों अब तक न्यायिक हिरासत में हैं।

पार्थ चटर्जी पर स्कूल भर्ती घोटाले में रिश्वत लेकर नौकरियां देने का आरोप है। इस घोटाले में कई एजेंटों और अधिकारियों की भूमिका सामने आई है।