कोलकाता, 09 नवंबर। भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना संयुक्त रूप से 10 नवंबर से 18 नवंबर तक पूर्वी क्षेत्र में ‘पूर्वी प्रहार’ नामक त्रि-सेवा अभ्यास का आयोजन करेंगी। इस अभ्यास का उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में संयुक्त अभियानों को अंजाम देने के लिए सेनाओं को प्रशिक्षण देना है। एक रक्षा अधिकारी ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।

इस अभ्यास के दौरान संयुक्त नियंत्रण संरचनाएं स्थापित की जाएंगी, ताकि सैटेलाइट संचार और एआई-आधारित विश्लेषण पर निर्भर उपकरणों का अधिक प्रभावी उपयोग किया जा सके। इस अभ्यास में स्वार्म ड्रोन, फर्स्ट पर्सन व्यू (एफपीवी) ड्रोन और लाइटर म्यूनिशन्स जैसे अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा, जो सैनिकों को तेजी, सटीकता और स्थिति की बेहतर जानकारी देने में सहायक होंगे।

रक्षा अधिकारी ने बताया कि इस नौ दिवसीय अभ्यास में सभी तीनों सेवाओं की विभिन्न उन्नत प्लेटफॉर्म्स की भागीदारी होगी, जिसमें उन्नत लड़ाकू विमान, टोही विमान, चिनूक हेलीकॉप्टर, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (रुद्र) और हाल ही में शामिल एम777 हल्के हॉवित्जर शामिल होंगे।

अभ्यास का मुख्य उद्देश्य ऑपरेशनल तैयारियों को बढ़ाना और त्रि-सेवा समन्वय को सुदृढ़ करना है।