नई दिल्ली, 6 नवंबर। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स (सी-डॉट) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की (आईआईटी रूड़की) के साथ ‘5जी ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए मिलीमीटर वेव ट्रांसीवर’ के विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) के अंतर्गत इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह योजना भारतीय स्टार्टअप, शिक्षाविदों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को वित्तपोषित करने के लिए बनाई गई है।

समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान आईआईटी रूड़की के प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर नागेंद्र प्रसाद पाठक और सी-डॉट के निदेशक डॉ पंकज कुमार दलेला तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

यह परियोजना मिलीमीटर वेव बैकहॉल प्रौद्योगिकी के विकास पर केंद्रित है। इसमें केवल कुछ ही एसबीएस (स्मॉल सेल-बेस्ड स्टेशन) को फाइबर के माध्यम से गेटवे से जोड़ा जाता है।

दूर संचार मंत्रालय के अनुसार ट्रांसीवर विकास में प्रस्तावित मिश्रित ऑप्टिकल और मिलीमीटर वेव दृष्टिकोण छोटे आकार और कम लागत के वांछित आउटपुट को प्राप्त करने का एक आशाजनक तरीका होगा।

इससे लघु एवं मध्यम उद्योगों को भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप अनुसंधान और बौद्धिक संपदा सृजन पर ध्यान केंद्रित करके दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास में सभी बदलावों में भारत को अग्रणी बनाए रखने की अपनी इच्छा व्यक्त की। उन्होंने सेल-फ्री 6जी नेटवर्क को आकार देने के लिए समय पर समाधान विकास और वितरण पर इस सहयोगी प्रयास के लिए सी-डॉट की प्रतिबद्धता को दोहराया।