पेरिस/नयी दिल्ली 01 नवम्बर। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक परिषद (यूनेस्को) के रचनात्मक शहरों के नेटवर्क (यूसीसीएन) में इस वर्ष भारत के दो शहरों ग्वालियर एवं कोझिकोड को नामित किया गया है। यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में मध्यप्रदेश के ग्वालियर को संगीत के क्षेत्र में और केरल के कोझिकोड को साहित्य के क्षेत्र में नामित किया गया है।

यूनेस्को ने यूसीसीएन के अंतर्गत 55 शहरों की सूची जारी की है जिसमें भारत के ये दो शहरों को शामिल किया गया है। इस नवीनतम सूची जारी किये जाने के साथ नेटवर्क में 100 से अधिक देशों के 350 रचनात्मक शहर शामिल हो गये हैं जो सात रचनात्मक क्षेत्रों शिल्प और लोक कला, डिज़ाइन, फ़िल्म, पाक कला, साहित्य, मीडिया, कला और संगीत का प्रतिनिधित्व करते हैं।

नए नामित रचनात्मक शहरों को अगले वर्ष पुर्तगाल के ब्रागा शहर में एक से पांच जुलाई के बीच होने वाले यूसीसीएन वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।

यूनेस्को की आधिकारिक सूचना के अनुसार नए नामित शहर जलवायु परिवर्तन, बढ़ती असमानता, साथ ही तेजी से शहरीकरण जैसे उभरते खतरों का सामना करने के लिए अपने लचीलेपन को मजबूत करने के लिए नेटवर्क सदस्यों के साथ सहयोग करेंगे। यूनेस्को का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की 68 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में रहने लगेगी।

यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने कहा कि जब संस्कृति तक पहुंच बढ़ाने और शहरी लचीलेपन और विकास के लिए रचनात्मकता की शक्ति को प्रेरित करने की बात आती है तो हमारे क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क के शहर अग्रणी हैं।

मध्यप्रदेश की स्थापना दिवस के मौके पर केन्द्रीय नागर विमानन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस खबर पर प्रसन्नता व्यक्त की है और कहा कि ग्वालियर को यूनेस्को के रचनात्मक शहरों के नेटवर्क में चयनित किए जाने के बाद अब ग्वालियर के संगीत को विश्व पटल पर एक नई पहचान मिलेगी और अब विश्व संगीत मंच पर ग्वालियर के सुरों की धूम मचेगी। ग्वालियर में संगीत के अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम होंगे तथा इससे संगीत पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

ग्वालियर ऐतिहासिक रूप से संगीत का केन्द्र रहा है। मध्यकाल यहां महान संगीतकार तानसेन एवं बैजू बावरा हुए हैं और ग्वालियर की संगीत के संरक्षण एवं संवर्धन सदियों से किया जा रहा है। ग्वालियर संगीत घराने में गुरु शिष्य परंपरा अभी भी चल रही है। आज भी पूर्ववर्ती सिंधिया राजघराने द्वारा ऐतिहासिक संगीत एवं पारम्परिक वाद्ययंत्रों को बजाने वाले कलाकार और उनकी कला को जीवित रखने के लिए उनका संरक्षण किया जाता है। ग्वालियर में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय भी स्थापित किया गया है जिसमें संगीत, नृत्य, ललित कला और नाटक और रंगमंच में पाठ्यक्रम संचालित किये जाते हैं। सिंधिया राजवंश के उत्तराधिकारी श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर को यूनेस्को के संगीत क्षेत्र में रचनात्मक शहरों के नेटवर्क में शामिल किये जाने की पैरवी करते हुए जून में यूनेस्को के मुख्यालय को पत्र लिखा था।

केरल स्थानीय प्रशासन संस्थान के एक प्रस्ताव के आधार पर कोझिकोड ने 2022 में साहित्यिक नगर का तमगा दिलाने के लिए काम करने का फैसला किया गया। कोझिकोड में 500 से अधिक पुस्तकालय और 70 से अधिक प्रकाशक हैं। वार्षिक केरल साहित्य महोत्सव और कई पुस्तक उत्सवों के लिए कोझिकोड एक स्थायी आयोजन स्थल होने के कारण इस दावे को मजबूती मिली। साहित्यिक जीवन को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त संख्या में संस्थाओं के होने से भी अधिकांश मानदंड पूरे हो गये और मंगलवार को यूनेस्को ने इसकी घोषणा की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्वालियर एवं कोझिकोड के शामिल होने पर वहां के निवासियों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा,”कोझिकोड की समृद्ध साहित्यिक विरासत और ग्वालियर की सुरीली विरासत अब प्रतिष्ठित यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क में शामिल होने से भारत की सांस्कृतिक जीवंतता वैश्विक मंच पर चमक रही है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर कोझिकोड और ग्वालियर के लोगों को बधाई!”

मोदी ने कहा, “जैसे ही हम इस अंतरराष्ट्रीय मान्यता का जश्न मनाते हैं, हमारा राष्ट्र हमारी विविध सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण और प्रचार के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। ये प्रशंसाएं हमारे अद्वितीय सांस्कृतिक आख्यानों को पोषित करने और साझा करने के लिए समर्पित प्रत्येक व्यक्ति के सामूहिक प्रयासों को भी दर्शाती हैं।”