स्पेनिश प्रधानमंत्री पेड्रो गुजरात में टाटा एयरबस मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी का करेंगे उद्घाटन

अहमदाबाद, 24 अक्टूबर । गुजरात अगले सप्ताह स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज का राज्य में स्वागत करेगा। इसके साथ ही गुजरात स्पेन के साथ बढ़ रहे भारत के व्यापारिक और आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए तैयार है। वडोदरा में टाटा एयरबस मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी का उद्घाटन करने के लिए आ रहे स्पेनिश प्रधानमंत्री का यह दौरा गुजरात और स्पेन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक घनिष्ठ बनाने के राज्य के प्रयासों में एक मील का पत्थर साबित होगा।

सरकारी प्रवक्ता मुताबिक अपनी रणनीतिक भौगोलिक स्थिति और एक सुव्यवस्थित औद्योगिक आधारभूत ढांचे के साथ गुजरात भारत और स्पेन के बीच व्यापार के एक अग्रणी केंद्र के रूप में उभरा है। मुंद्रा और कंडला जैसे राज्य के विश्वस्तरीय बंदरगाह राज्य की तेजी से बढ़ रही व्यापारिक गतिविधियों को सुविधा उपलब्ध कराते हैं, जो ऑटोमोटिव, नवीकरणीय ऊर्जा और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में स्पेनिश निवेश के लिए गुजरात को आकर्षक स्थल बनाते हैं।

राज्य की उद्योग-व्यापार अनुकूल नीतियों और कुशल मानवबल की उपलब्धता के कारण पिछले वर्षों के दौरान कई अग्रणी स्पेनिश कंपनियों ने गुजरात में अपनी मजबूत उपस्थित दर्ज कराई। गुजरात में स्पेन के महत्वपूर्ण निवेशों में ग्रुपो एंटोलिन शामिल है, जिसने फोर्ड और टाटा जैसे दिग्गज ऑटोमोबाइल विनिर्माताओं को सेवा प्रदान करने के लिए 2015 में साणंद में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित की थी। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सीमेंस गमेसा और विंडर रिनोवेबल्स ने हालोल में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किए हैं, जो पवन ऊर्जा उत्पादन में गुजरात के नेतृत्व को सुदृढ़ बनाते हैं।

‘ट्रस्टिन टेप’ वेलेन्सिया स्थित टेक्निकल टेप और एडहेसिव सॉल्यूशन में विशेषज्ञता प्राप्त कंपनी- मियार्को और भारतीय कंपनी पीपीएम इंडस्ट्रीज का संयुक्त उद्यम है। ट्रस्टिन टेप ने 2018 में गुजरात के दहेज में मैन्युफैक्चरिंग सेंटर शुरू किया था और भारत की पहली और एकमात्र मास्किंग टेप उत्पादक कंपनी बनी थी। इसी प्रकार, परफ्यूम का उत्पादन करने वाली कंपनी आइबरचेम वर्ष 2010 से अहमदाबाद के चांगोदर में अपनी फैसिलिटी का संचालन कर रही है। ऐसे निवेशों ने भारत में अपना विस्तार करने को इच्छुक स्पेनिश कंपनियों के लिए गुजरात पसंदीदा गंतव्य बन गया है।

वडोदरा में टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट गुजरात और स्पेन के बीच बढ़ते रणनीतिक रक्षा सहयोग की मजबूती को दर्शाता है। भारत के लिए जिन 56 सी-295 सैन्य परिवहन विमानों का निर्माण होने वाला है, उनमें से 40 भारत में ही बनाए जाएंगे। स्पेन को गुजरात के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई दी है, जो वर्ष 2023-24 में 0.94 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। गुजरात स्पेन को मुख्य रूप से कार्बनिक रसायन, मशीनरी, खनिज ईंधन और आयरन एवं स्टील उत्पादों का निर्यात करता है, जो राज्य के विविधतापूर्ण उद्योगों की मजबूत उपस्थिति को प्रतिबिंबित करता है। व्यापार के अलावा, गुजरात और स्पेन ने सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है। स्पेनिश बिजनेस ने गुजरात के इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा क्षेत्रों में योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त गुजराती स्पेनिश कला, संगीत और खान-पान में भी रुचि ले रहे हैं। वहीं, उच्च शिक्षा, विशेषकर बिजनेस मैनेजमेंट, कला और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावना बढ़ रही है।

उल्लेखनीय है कि भारत और स्पेन के बीच मजबूत द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध हैं। दोनों देश के बीच का व्यापार वर्ष 2023-24 में 7.24 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में स्थिर वृद्धि देखने को मिली है और दोनों देशों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर, रक्षा और टेक्नोलॉजी जैसे मुख्य क्षेत्रों में व्यापार का विस्तार हो रहा है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 6.77 अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 7.24 अरब डॉलर हो गया है। यूरोपियन यूनियन में स्पेन भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत स्पेन को खनिज ईंधन, रसायन, मशीनरी, कपड़ा और लौहा एवं इस्पात का निर्यात करता है। सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्युटिकल्स और इंजीनियरिंग क्षेत्र में कई भारतीय कंपनियों ने स्पेन में अपना कामकाज शुरू किया है, जिससे दोनों के संबंध और भी मजबूत हुए हैं।

स्पेन ने भारत में (अप्रैल 2000 से जून 2024) 4.2 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जो टेक्नोलॉजी और औद्योगिक विकास को गति देता है। दूसरी ओर भारत स्पेन से जहाज, मशीनरी और पेय पदार्थों का आयात करता है, जिससे उत्पादन और रक्षा जैसे उद्योगों को गति मिली है। गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे भारतीय राज्यों में 280 से अधिक स्पेनिश कंपनियां संचालित हैं। ऐसी उम्मीद है कि दोनों देश नवीनकरणीय ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और रक्षा क्षेत्र में और अधिक अवसरों की तलाश करेंगे।