31 अक्टूबर या एक नवम्बर की दीपावली का विवाद

बच्चों के जवाब कर देंगे लाजवाब

कौशल मूंदड़ा

उदयपुर, 24 अक्टूबर। इस साल दीपावली कब मनाई जाएगी, इसके लिए बहस अब भी खत्म नहीं हुई है। पिछले दिनों जयपुर में 31 अक्टूबर की तारीख फाइनल होने के बाद पुन: कुछ ज्योतिषाचार्यों ने एक नवम्बर को ही दीपावली मनाए जाने को श्रेयस्कर कहा। इस सारी जद्दोजहद में अब भी लोग एक-दूसरे से पूछ रहे हैं कि दीपावली कब की मानी है। लेकिन, इस सारे विवाद के बीच कोई बच्चों से नहीं पूछ रहा कि दीपावली कब मनाओगे। पूछ लेते तो सारा विवाद ही खत्म हो जाता।

दरअसल, इस शनिवार को विद्यालयों में दीपावली उत्सव मनाने के साथ ही बच्चों की छुट्टियां शुरू हो जाएंगी। दीपावली किस दिन मनाई जाए, इस विवाद से वे भी अनभिज्ञ नहीं हैं। बुधवार को कुछ बच्चों से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि अंकल, कोई हमसे भी पूछ ले कि दीपावली कब मनानी है। उनकी इन बातों पर जब उनसे पूछ गया कि आप लोगों की भी राय बता ही दीजिये, तो वे तपाक से बोल उठे, अंकल आप तो पटाखे आज ही दिलवा दो, हमारी तो दिवाली आज से ही शुरू हो जाएगी। चाहे रुद्रांश हो या तनुश, वत्स हो या चित्राक्षी, अभिनव हो या लक्ष्य, धनिष्ठा हो या इशानवी, हिरल हो या चीकू, हर्ष हो या सुहानी, सभी को पटाखों से मतलब है, जितने दिन दीपावली उतने दिन के पटाखे।

कुल मिलाकर बच्चों के लिए दीपावली का मतलब ही पटाखे हैं। वे तो अभी से यह तय करके बैठे हैं कि दीपावली दो दिन मनाई जाएगी, इसके लिए वे पटाखों का बजट भी सैट कर रहे हैं। बस उनकी इस बात ने अभिभावकों को चिंता में डाल रखा है। स्कूल में बच्चों को लेने आए अभिभावकों ने कहा कि बच्चे तो अखबार पढ़कर बोल रहे हैं, हमारे तो वैसे ही दोनों दिन छुट्टियां हैं, हमें तो एक दिन के पटाखे एक्सट्रा दिलवा देना, हम तो दोनों ही दिन मजे करेंगे। अभिभावकों का कहना है कि इस बार पटाखे दुगुने तो नहीं पर डेढ़े तो खरीदने पड़ेंगे।

कभी धनतेरस तो कभी रूप चतुर्दशी भी तो दो हुई हैं

-बुजुर्ग का कहना है, उन्होंने तो अपने जीवन में धनतेरस और रूपचतुर्दशी भी कई बार दो-दो दिन बढ़ते देखा है। ऐसे में यदि दीपावली दो दिन होती है तो क्या समस्या है। उल्लास और पर्व के दिन बढ़ते हैं तो व्यक्ति को आनंद की अनुभूति भी अधिक ही होगी।

सिर्फ लक्ष्मी पूजन की समस्या है

-दरअसल, दीपावली दो दिन मनाई जाए इस पर किसी को ज्यादा समस्या नहीं है। सामान्यजन की बात की जाए तो उन्हें सिर्फ लक्ष्मी पूजन की समस्या है। ऐसे में अनुभवी बुजुर्गों का कहना है कि सभी परिवारों के अपने-अपने पुरोहितजी होते हैं। जब दीपावली एक दिन की होती है तब भी मुहूर्त तो घर के पुरोहितजी से ही पूछा जाता है। तो अब भी पूजन उसी समय होगा जब घर के पुरोहितजी शुभ मुहूर्त तय करेंगे। ऐसे में असमंसज के बजाय अपने-अपने पुरोहितजी को ही टटोलना चाहिए।

कहीं अवकाश बढ़ाने का विवाद तो नहीं

-कई लोग अब यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि यह सब नौकरीपेशा लोगों के अवकाश से जुड़ा मसला है। यदि दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाती है तो एक नवम्बर का अतिरिक्त अवकाश मिल जाता है क्योंकि एक नवम्बर को शुक्रवार है। और यदि दीपावली एक नवम्बर की ही हो तो 31 अक्टूबर को अवकाश नहीं रह सकता, क्योंकि धनतेरस-रूपचौदस का सरकारी अवकाश नहीं होता।