पुणे, 31 अक्टूबर। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा नेतृत्व मराठा आरक्षण के मुद्दे का फायदा उठाना चाहता है और लोगों को भाजपा की इस चाल को समझना होगा।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने मंगलवार को मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन का समर्थन करने के लिए आयोजित हस्ताक्षर अभियान को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने ईमानदार रुख अपनाया है कि अन्य जातियों के कोटे को छुए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।

तिवारी ने कहा कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण प्रदान करने की प्रक्रिया तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के शासन काल में शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि चव्हाण द्वारा नियुक्त नारायण राणे ने कई महीनों तक सर्वेक्षण किया और राज्य भर से समुदाय के लगभग 18 लाख लोगों के बयान दर्ज किए।

तिवारी ने कहा कि इस वजह से कांग्रेस मराठा समुदाय के सदस्यों की दुर्दशा और उनकी स्थितियों को नजरअंदाज नहीं कर सकती। तिवारी ने कहा कि केंद्र में शासन में आने के बाद, भाजपा ने 102वां संवैधानिक संशोधन किया और 11 अगस्त 2018 के एक सरकारी संकल्प के माध्यम से राज्यों से आरक्षण प्रदान करने की शक्तियां छीन लीं। भाजपा नेतृत्व ने आरक्षण के मुद्दे का फायदा उठाने के लिए ऐसा किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2019 में राज्य विधानसभा के समक्ष पेश गायकवाड़ आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मराठा समुदाय के लिए आरक्षण प्रदान करने के प्रस्ताव को पूरा समर्थन दिया था।

उन्होंने कहा, “जब फैसले को बॉम्बे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई, तो चुनाव में पार्टी को होने वाले फायदे पर नजर रखते हुए, भाजपा ने योजनाबद्ध तरीके से केंद्र सरकार के वकील को अदालत में बुलाया और आश्वासन दिया कि फैसले निर्णय से संबंधित सरकारी संकल्प 102वें संवैधानिक संशोधन से प्रभावित नहीं होगा। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने वकील की दलील को स्वीकार करते हुए मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को मंजूरी दे दी।”

तिवारी ने कहा, कि बाद में जब मामला महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार के कार्यकाल के दौरान उच्चतम न्यायालय पहुंचा, तो उच्चतम न्यायालय ने 19 अगस्त 2018 के उसी 102वें संवैधानिक संशोधन का हवाला देते हुए, मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को खारिज कर दिया। भाजपा ने उच्चतम न्यायालय में आरक्षण बरकरार रखने में विफल रहने के लिए एमवीए सरकार को दोषी ठहराकर घृणित राजनीति की। हालांकि, तत्कालीन फड़नवीस सरकार द्वारा 102वें संवैधानिक संशोधन के संबंध में अदालत की आपत्ति का जवाब देने के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार के वकील को बुलाने पर वह चुप रही। उन्होंने कहा, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में लोकतंत्र, राज्यों की शक्तियों आदि के प्रति कोई सहिष्णुता नहीं है और अहंकार एवं तानाशाही प्रवृत्ति से भरा होने के कारण वह चाहता है कि सभी समुदायों के लोग झुक जाएं और दब जाएं। नतीजतन, भाजपा आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का दावा कर रही है और दिखावा कर रही है कि वह देश की रक्षक है, हालांकि वह जनता की इच्छा पर कोई ध्यान नहीं देती है।