कनाडाई लोगों के खिलाफ हिंसा के अभियान का समर्थन कर रही भारत सरकार : ट्रूडो
वोट बैंक की राजनीति कर रहे ट्रूडो : भारत
ओटावा/नयी दिल्ली 16 अक्टूबर । अलगाववादी सिख नेता की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों ने अपने शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। कनाडा ने अपने यहां से छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की थी। कनाडाई विदेश मंत्री मेलानी जोली ने आरोप लगाया कि ये राजनयिक ही हिंसक घटनाओं में शामिल थे।
वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रत्युत्तर में घोषणा की कि हमें वर्तमान कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है इसलिए वह अपने दूत उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को अन्य राजनयिकों और अधिकारियों के साथ वापस बुला रहा है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने उन्हें वापस बुलाने का फैसला किया है।”
भारत ने यह भी घोषणा की कि वह कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर सहित छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर रहा है और संकेत दिया कि वह आगे की कार्रवाई कर सकता है। कनाडाई लोगों के पास देश छोड़ने के लिए शनिवार रात तक का समय है।
इससे पूर्व 1974 में भी दोनों देशों के बीच कड़वाहट देखने को मिली थी। यह वह समय था जब भारत ने परमाणु विस्फोट कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। तब कनाडा ने भारत पर शांतिपूर्ण उपयोग के लिए दिए गए एक रिएक्टर से प्लूटोनियम निकालने का आरोप लगाया था। लेकिन उस समय रिश्ते इतने खराब नहीं हुए थे तब राजनयिकों को निष्कासित करने जैसी कार्रवाई नहीं की गई थी।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर आरोप लगाया कि वह कनाडा की धरती पर यहां के लोगों के खिलाफ हिंसा के अभियान का समर्थन कर रही है। ग्लोब एंड मेल ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
वहीं भारत ने कनाडा के बेतुके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ट्रूडो वोट बैंक की राजनीति कर रहे है।
ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रूडो ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “मुझे लगता है कि भारत सरकार ने यह सोचकर मौलिक गलती की कि वे कनाडाई लोगों के खिलाफ यहां कनाडा की धरती पर आपराधिक गतिविधि का समर्थन कर सकते हैं। चाहे वह हत्या हो या जबरन वसूली या अन्य हिंसक कृत्य, यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। कोई भी देश, खास तौर पर कोई लोकतंत्र जो कानून के शासन को कायम रखता है, अपनी संप्रभुता के इस मौलिक उल्लंघन को स्वीकार नहीं कर सकता।”
उन्होंने कहा, “हमने भारत सरकार के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया और उनसे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रकाश डालने के लिए हमारे साथ काम करने को कहा। आज रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को देखते हुए हम कनाडाई लोगों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कदम उठा रहे हैं।”
इस बीच रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस प्रमुख ने ‘भारत सरकार के एजेंटों’ पर कनाडा में व्यापक हिंसा में भूमिका निभाने का आरोप लगाया और कहा कि यह हमारी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है।
रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस आयुक्त माइक डुहेम ने कहा कि उनके पास स्पष्ट साक्ष्य हैं कि भारत सरकार के एजेंट ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं , जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करती हैं। इसमें गुप्त सूचना एकत्र करने की तकनीकें, दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को लक्षित करने वाला बलपूर्वक व्यवहार और हत्या सहित एक दर्जन से अधिक धमकी भरे और हिंसक कृत्यों में शामिल होना शामिल है। यह कृत्य अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और कनाडाई सुरक्षा अधिकारियों ने इस मामले पर भारत सरकार और भारतीय कानून प्रवर्तन समकक्षों के साथ काम करने की मांग की, लेकिन उन्हें बार-बार मना कर दिया गया।