काठमांडू, 06 अक्टूबर। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम शाह चार दिनों की भूटान यात्रा पूरी करके रविवार को काठमांडू वापस आ गए हैं। भूटान के संवैधानिक राजपरिवार ने भव्य तरीके से नेपाल के पूर्व राजपरिवार का स्वागत सत्कार किया है। नेपाल के प्रमुख दलों ने इसका विरोध करते हुए इसे नेपाल में राजतंत्र की पुनर्बहाली का षड्यंत्र करार दिया है।
भूटान के राजा जिग्मे खेसर वांचुक के निमंत्रण पर पिछले हफ्ते गुरुवार को भूटान पहुंचने पर नेपाल के पूर्व राजा का थिंपू के विमानस्थल पर स्वागत करने के लिए वहां की राजकुमारी स्वयं मौजूद थी। नेपाल लौटते समय आज थिंपू में पूर्व राजा को विदाई देने के लिए वहां के राजा वांचुक स्वयं आए थे। भूटान भ्रमण के दौरान हर कार्यक्रम में और थिंपू की सड़कों पर लगाए गए होर्डिंग में भी ज्ञानेंद्र शाह के नाम के आगे His Majesty King Gyanendra Bir Bikram Shah लिखा गया था। उनके भूटान भ्रमण को किसी वर्तमान राजा की तरह राजकीय बनाया गया था।
भूटान में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को जिस तरह का राजकीय सम्मान दिया गया, उससे नेपाल की राजनीति में खलबली मच गई है। नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों ने पूर्व राजा के भूटान भ्रमण को देश में राजतंत्र की पुनर्बहाली का षड्यंत्र बताया है। सत्तारूढ़ दल एमाले पार्टी के उपाध्यक्ष भीम आचार्य ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के भूटान भ्रमण को असामान्य बताते हुए इसकी जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि नेपाल की सत्ता से हटाए गए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को आखिर किस हैसियत से भूटान के राजा ने राजकीय भ्रमण का निमंत्रण दिया है। आचार्य ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि पूर्व राजा की गतिविधि से नेपाल में एक बार फिर लोकतंत्र की हत्या कर राजशाही की बहाली का षड्यंत्र तो नहीं किया जा रहा है?
सत्ता में शामिल रहे नेपाली कांग्रेस के सह महासचिव मीन बहादुर विश्वकर्मा ने आशंका जताई है कि नेपाल के पूर्व राजा को राजकीय भ्रमण का निमंत्रण देने के पीछे कोई बड़ी अंतरराष्ट्रीय शक्ति काम कर रही है। विश्वकर्मा ने यह भी कहा कि नेपाल के पूर्व राजा के इस भ्रमण से उनके सत्ता में वापसी की छटपटाहट दिखाई दे रही है। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि नेपाल में फिर से राजतंत्र के पुनर्स्थापना की कोई भी संभावना बची है।
माओवादी पार्टी के महासचिव देव गुरूंग ने नेपाल के पूर्व राजा के भूटान भ्रमण को एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र बताते हुए इसके पीछे लोकतंत्र विरोधी ताकत होने की बात कही है। देव गुरुंग ने कहा है कि माओवादी के 10 वर्षों के संघर्ष के बाद नेपाल से राजशाही को जड़ से खत्म किया गया था लेकिन माओवादी के सत्ता से बाहर होते ही नेपाल में राजतंत्र के पक्षधर लोगों को विदेशी ताकतों का सहयोग मिल रहा है। महासचिव गुरु ने कहा कि नेपाल की जनता अब इतनी जागरूक हो गई है कि वह नेपाल में फिर से राजशाही की बहाली नहीं होने देगी।