भोपाल, 04 अक्टूबर । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब राजस्व विभाग का अमला किसानों के रिकॉर्ड और फसल नुकसान के सर्वे में हेरफेर नहीं कर सकेगा। इसके लिए केंद्र सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का गठन करने जा रही है। इससे किसानों से होने वाले हेरफेर को रोकने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय कृषि मंत्री चौहान शुक्रवार को भोपाल में लिंक रोड स्थित अपने आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राजस्व अमला किसान की हर जानकारी का रिकॉर्ड रखता है। डिजिटलाइजेशन के बाद वास्तव में कितना नुकसान हुआ है, इसका पता चल जाएगा। बोवनी के समय जैसे ही फसल आएगी, वैसे ही फोटो अपलोड कर दिए जाएंगे। इससे राजस्व अमला हेरफेर नहीं कर सकेगा। किसान को उसके नुकसान का सही मुआवजा मिलेगा। इसके लिए ड्रोन भी दिए जा रहे हैं। ड्रोन की बैटरी डिस्चार्ज होने की स्थिति देखते हुए पांच बैटरियां अलग से दी जाएंगी।
उन्होंने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए समर्पित केन्द्र की मोदी सरकार ने पिछले 120 दिनों में किसान हितैषी अनेक फैसले लिए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को ही दो नई योजनाओं को मंजूरी दी है। इसी के अंतर्गत डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का काम भी किया जाएगा। यह दो योजनाएं प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और कृषि उन्नति योजना हैं। दोनों योजनाओं में मिलाकर एक लाख 1321 करोड़ 61 लाख रुपये खर्च होंगे।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि साल 2022-23 में देश की कुल खाद्य तेल की आवश्यकता 29.2 मिलियन टन थी, लेकिन हमारे यहां ऑयल सीड से 12.7 बिलियन उत्पादन होता है। बाकी मांग पूरी करने के लिए विदेशों पर या आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन तिलहन बनाया गया है। वर्तमान में देश में चल रहे ऑयल सीड्स प्लांट्स का उत्पादन काफी कम है। किसानों को देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) बीज बनाएगा। इन बीज को किसानों को फ्री में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए देशभर में 600 क्लस्टर बनाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि देशभर के 21 राज्यों के 347 जिलों में जहां भी ऑयल सीड्स का उत्पादन होता है, उन राज्यों को विशेष रूप से लिया गया है। किसानों को इन क्लस्टर में फ्री में बीज, ट्रेनिंग, नई टेक्नोलॉजी से कैसे खेती करें, इसकी जानकारी दी जाएगी। ऐसी सुविधाएं इस मिशन के तहत दी जाएंगी।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि देशभर में हर साल 10 लाख हेक्टेयर एरिया में खेती की जाएगी। उन्नत बीजों की कमी पूरी करने के लिए 65 नए बीज केंद्र बनाए जाएंगे। बीजों को सुरक्षित रखने के लिए 50 बीज भंडारण इकाइयां भी बनाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जहां केवल एक फसल खरीफ की लेते हैं। इंटरक्रॉपिंग का भी उपयोग किया जाएगा। अलग-अलग फसलों के बीच में ये बीज, फसलें लगाई जा सकती हैं। पूरी खरीद किसानों से की जाएगी।
इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस की प्राथमिकता न कभी खेती न किसानी की रही है। इनकी सरकार में खरीदी नहीं होती थी। इनका काम विरोध करना है, तो राजनीति के लिए विरोध करते रहेंगे। उन्होंने युवाओं को रोजगार को लेकर कहा कि बेरोजगारी भत्ता समस्या का समाधान नहीं है। नौजवानों को पैसे दें, लेकिन काम सिखाएं। वे इस पर फोकस कर काम करते रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल महाराष्ट्र के वाशिम से किसानों के खाते में ‘पीएम किसान सम्मान निधि योजना’ की 18वीं किस्त डालेंगे। देशभर के लगभग 9.4 करोड़ लाभार्थी किसानों को 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित की जाएगी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब राजस्व विभाग का अमला किसानों के रिकॉर्ड और फसल नुकसान के सर्वे में हेरफेर नहीं कर सकेगा। इसके लिए केंद्र सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का गठन करने जा रही है। इससे किसानों से होने वाले हेरफेर को रोकने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय कृषि मंत्री चौहान शुक्रवार को भोपाल में लिंक रोड स्थित अपने आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राजस्व अमला किसान की हर जानकारी का रिकॉर्ड रखता है। डिजिटलाइजेशन के बाद वास्तव में कितना नुकसान हुआ है, इसका पता चल जाएगा। बोवनी के समय जैसे ही फसल आएगी, वैसे ही फोटो अपलोड कर दिए जाएंगे। इससे राजस्व अमला हेरफेर नहीं कर सकेगा। किसान को उसके नुकसान का सही मुआवजा मिलेगा। इसके लिए ड्रोन भी दिए जा रहे हैं। ड्रोन की बैटरी डिस्चार्ज होने की स्थिति देखते हुए पांच बैटरियां अलग से दी जाएंगी।
उन्होंने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए समर्पित केन्द्र की मोदी सरकार ने पिछले 120 दिनों में किसान हितैषी अनेक फैसले लिए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को ही दो नई योजनाओं को मंजूरी दी है। इसी के अंतर्गत डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का काम भी किया जाएगा। यह दो योजनाएं प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और कृषि उन्नति योजना हैं। दोनों योजनाओं में मिलाकर एक लाख 1321 करोड़ 61 लाख रुपये खर्च होंगे।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि साल 2022-23 में देश की कुल खाद्य तेल की आवश्यकता 29.2 मिलियन टन थी, लेकिन हमारे यहां ऑयल सीड से 12.7 बिलियन उत्पादन होता है। बाकी मांग पूरी करने के लिए विदेशों पर या आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन तिलहन बनाया गया है। वर्तमान में देश में चल रहे ऑयल सीड्स प्लांट्स का उत्पादन काफी कम है। किसानों को देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) बीज बनाएगा। इन बीज को किसानों को फ्री में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए देशभर में 600 क्लस्टर बनाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि देशभर के 21 राज्यों के 347 जिलों में जहां भी ऑयल सीड्स का उत्पादन होता है, उन राज्यों को विशेष रूप से लिया गया है। किसानों को इन क्लस्टर में फ्री में बीज, ट्रेनिंग, नई टेक्नोलॉजी से कैसे खेती करें, इसकी जानकारी दी जाएगी। ऐसी सुविधाएं इस मिशन के तहत दी जाएंगी।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि देशभर में हर साल 10 लाख हेक्टेयर एरिया में खेती की जाएगी। उन्नत बीजों की कमी पूरी करने के लिए 65 नए बीज केंद्र बनाए जाएंगे। बीजों को सुरक्षित रखने के लिए 50 बीज भंडारण इकाइयां भी बनाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जहां केवल एक फसल खरीफ की लेते हैं। इंटरक्रॉपिंग का भी उपयोग किया जाएगा। अलग-अलग फसलों के बीच में ये बीज, फसलें लगाई जा सकती हैं। पूरी खरीद किसानों से की जाएगी।
इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस की प्राथमिकता न कभी खेती न किसानी की रही है। इनकी सरकार में खरीदी नहीं होती थी। इनका काम विरोध करना है, तो राजनीति के लिए विरोध करते रहेंगे। उन्होंने युवाओं को रोजगार को लेकर कहा कि बेरोजगारी भत्ता समस्या का समाधान नहीं है। नौजवानों को पैसे दें, लेकिन काम सिखाएं। वे इस पर फोकस कर काम करते रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल महाराष्ट्र के वाशिम से किसानों के खाते में ‘पीएम किसान सम्मान निधि योजना’ की 18वीं किस्त डालेंगे। देशभर के लगभग 9.4 करोड़ लाभार्थी किसानों को 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित की जाएगी।