नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में आदित्य बिड़ला सामुदायिक पहल और ग्रामीण विकास केंद्र की अध्यक्ष राजश्री बिड़ला को 25वां लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार, 2024 प्रदान किया। उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि राजश्री बिड़ला पिछले तीन दशकों से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न रूपों में मानवता की सेवा कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री का नाम सुनते ही देशभक्ति की याद आ जाती है। शास्त्री जी जनसेवा की परिभाषा देते हैं। वे आत्म-बलिदान के प्रतीक थे। शास्त्री जी ने आचरण और व्यवहार की मिसाल कायम की, उपदेशों की नहीं। कुछ ऐसे व्यक्तित्व होते हैं, जिन्हें किसी इवेंट मैनेजमेंट या सिस्टमेटिक एक्टिंग की जरूरत नहीं होती। वे हमारी यादों में बसे रहते हैं। वे हमारा मार्गदर्शन करते हैं, हमें प्रेरित करते हैं। जब हम भुखमरी के संकट से जूझ रहे थे, तब पूरा देश उनके साथ खड़ा था। वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने आह्वान करके लोगों की भागीदारी को बढ़ावा दिया। उनका आह्वान महज आह्वान नहीं था, बल्कि तत्कालीन परिदृश्य से उपजा था, अकल्पनीय आयाम का खतरा था। कल्पना कीजिए कि उन्होंने किस परिदृश्य में कार्यभार संभाला होगा। वे अकेले ऐसे व्यक्ति थे, जो इसे संभाल सकते थे!
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम इवेंट मैनेजमेंट के ऐसे समय में जी रहे हैं, जहां व्यक्ति को ऐसे मापदंडों के आधार पर सम्मानित किया जाता है, जो हैरान करने वाले होते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को उस स्तर तक ऊपर पहुंचा दिया जाता है, जिसे पचा पाना मुश्किल होता है। लेकिन हाल के वर्षों में एक प्रतिमान बदलाव हुआ है। उदाहरण के लिए, पद्म पुरस्कार उन लोगों को दिए जा रहे हैं, जो इसके हकदार हैं। यही वजह है कि इस पुरस्कार की विश्वसनीयता और बढ़ गई है। यह पुरस्कार भी इसी धारा में आता है।
यह क्षण हमेशा मेरी यादों में रहेगा, कि मैं मानवता के एक महान व्यक्ति को सम्मानित कर रहा हूं, और यह पुरस्कार धरती के एक बेहतरीन सपूत का तमगा है- जिसकी याद कभी नहीं मिटेगी।