माकपा ने आरजी कर घटना के खिलाफ उत्सव नहीं मनाने का किया था दावा
कोलकाता, 30 सितंबर । पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के आयोजन के बीच मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता शतरूप घोष की शॉपिंग की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। माकपा ने इस साल दुर्गा पूजा के उत्सव में भाग न लेने की घोषणा की थी, लेकिन शतरूप घोष को दक्षिण कोलकाता के एक मॉल में खरीदारी करते हुए देखा गया।
माकपा का इस साल का विरोध आंदोलन खास तौर पर मुखर रहा है, जिसमें पार्टी ने दुर्गा पूजा के आयोजन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए थे। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आम जनता को दुर्गा पूजा में शामिल होने और छोटे व्यापारियों और श्रमिकों के समर्थन में आगे आने का आह्वान किया था। ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि दुर्गा पूजा का आयोजन सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी हजारों लोगों के लिए बेहद अहम है, जिसमें ढाकी, मूर्तिकार, कपड़ा व्यापारी और अन्य छोटे व्यवसायी शामिल हैं। ऐसे में त्योहारों का बहिष्कार करने का माकपा का आह्वान चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
शतरूप घोष की शॉपिंग मॉल में शॉपिंग करती हुई तस्वीरें सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। न सिर्फ विपक्षी दल, बल्कि आम जनता और खुद सीपीआईएम समर्थक भी इन तस्वीरों से नाराज हैं। नतीजतन, सोशल मीडिया पर पार्टी की ‘द्विचारिता’ की आलोचना करते हुए लोगों ने कहा, “एक तरफ पार्टी कहती है कि वो त्योहार में भाग नहीं लेगी, वहीं दूसरी तरफ उसके नेता उत्सव के लिए शॉपिंग कर रहे हैं।”
इससे पहले भी सीपीआईएम के दोहरे मापदंड का मामला सामने आया था जब पार्टी के मुखपत्र ‘गणशक्ति’ में दुर्गा पूजा के विज्ञापनों को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। पार्टी द्वारा ‘उत्सव में भाग न लेने’ का आह्वान करने के बावजूद, उसी समय पार्टी के मुखपत्र में दुर्गा पूजा के विज्ञापन प्रकाशित हुए थे। तब टीएमसी नेता कुणाल घोष ने सीपीआईएम पर निशाना साधते हुए कहा था, “फेसबुक पर क्रांति, लेकिन अखबार में विज्ञापन। ये पार्टी का व्यावसायिक दृष्टिकोण नहीं, बल्कि दोहरा मापदंड है।”
सोशल मीडिया पर भी शतरूप घोष के शॉपिंग करने की तस्वीरों को लेकर जनता ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। किसी ने लिखा, “ये लोग सिर्फ दिखावा करते हैं, इनकी पार्टी पूरी तरह से पाखंड में लिप्त है।”
दुर्गा पूजा का पश्चिम बंगाल की आर्थिक गतिविधियों पर भी गहरा असर होता है। यह सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में इससे आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलता है। मूर्तिकारों, पंडाल निर्माताओं, प्रकाश व्यवस्था के कामगारों, और छोटे दुकानदारों के लिए यह समय साल भर की कमाई का सबसे महत्वपूर्ण दौर होता है। फोरम फॉर दुर्गोत्सव के सचिव शाश्वत बोस के अनुसार, कोलकाता की दुर्गा पूजा में लगभग 80 से 90 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक आदान-प्रदान होता है। ऐसे में सीपीआईएम का विरोध, खासकर उनके नेताओं का शॉपिंग करते हुए दिखना, लोगों में काफी नाराजगी पैदा कर रहा है।