कोलकाता, 27 सितम्‍बर। रामावतार में भगवान राम सीता को खोजते हैं तो कृष्णावतार में भगवान कृष्ण गोपियों को। भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग जो महारास किया था ,वह मानवीय नहीं ईश्वरीय लीला है। भगवान कृष्ण परमात्मा है तो गोपियां जीवात्मा है।

सारा संसार श्रीकृष्ण को याद करता है पर भगवान कृष्ण गोपियों को याद करते हैं।सोचिए गोपियों का जीवन कितना दिव्य और पवित्र होगा। गोपियों का जीना और मरना कृष्ण के लिए था।महारास के समय जब गोपियों को इस बात का अभिमान हो गया कि मेरे सौन्दर्य के चलते महारास हो रहा है तो कृष्ण अचानक गायब हो गए।जब गोपियों को इस बात का पता चला तो कृष्ण के  वियोग में  रोने लगी ।अंत में किशोरी जी के संग कृष्ण को पुकारने लगी वही गोपी गीत बना।अंत में गोपियों के समर्पण प्रेम को देखकर पुन:  भगवान कृष्ण महारास में प्रकट हुए।भगवान के मार्ग में अभिमान बाधक होता है।भगवान कृष्ण ने गोपियों के पूछने पर कहा कि जो प्रेम के बदले प्रेम करे उसे व्यवहार कहते है।जो बिना रिटर्न गिफ्ट लिए प्रेम करता है,जैसा माता,पिता,गुरु करता है,वह दिव्य प्रेम होता है। अंत में भगवान कृष्ण गोपियों से कहते हैं ,अरे!तुम्हारा निश्चल प्रेम है।यह महारास न करता तो तुम्हारे अंदर माखन रूपी मेरा प्रेम है,वह कैसे प्रकट होता। महारास दिव्य प्रेम लीला है।महारास प्रसंग को सुनने से हृदय की कामनाएं समस्त समाप्त हो जाती है और हृदय में दिव्य कृष्ण-प्रेम प्रकट हो जाता है।

ये बातें गौ कल्याण ट्रस्ट के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए आचार्य श्रीकांत शर्मा’बालव्यास’ ने 4ए गणपति राजेश सभागार में कही। संस्था के ट्रस्टी मुरारीलाल दीवान ने बताया कि यह श्रीमद्भागवत कथा सुरभि सदन गौशाला के निर्माण, विकास और संचालन हेतु आयोजित की गई है।कथा को सफल बनाने में ट्रस्टीगण मुरारीलाल दीवान, चम्पालाल सरावगी,बनवारीलाल सोती,सत्यनारायण देवरालिया, बृजमोहन गाड़ोदिया, बालकिसन बालासरिया,विश्वनाथ सेकसरिया, प्रेमचंद ढांढनिया, कृष्ण कुमार छापड़िया,राजेन्द्र प्रसाद बुबना,बालकिसन नेवटिया, अरुण केडिया,राजेश मित्तल व  स्वागत समिति के सदस्य   शकुंतला दीवान, शारदा बाई छापड़िया,  राहुल दीवान,  प्रकाश केडिया,संजय मस्करा, विनोद केडिया, सोनू पोद्दार,सिद्धार्थ, दीवान सहित अन्य  सदस्य  सक्रिय रहे।इस अवसर पर रंजना शर्मा, सज्जन सिंघानिया,अनिता-विमल दीवान, मधु-अरूण दीवान, शिखा गोयल,वेदिका-वेदांत दीवान,पत्रकार कौशल किशोर त्रिवेदी,रामकथावाचक पुरुषोत्तम तिवारी,अशोक तिवारी,वैद्य राधेश्याम श्रीवास्तव, सावित्री-महावीर रावत,अनिल छापड़िया आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।