कोलकाता, 20 सितंबर । आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। इससे पता चला है कि इस अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने कई तकनीकी और उन्नत परियोजनाओं के ठेके एक ऐसे व्यावसायिक इकाई को दिए, जिसके पास आवश्यक अनुभव और विशेषज्ञता नहीं थी।

सूत्रों के अनुसार, एक उदाहरण है मेडिकल छात्रों के लिए स्किल लैबोरेटरी की स्थापना का, जिसका ठेका घोष ने अपने करीबी माने जाने वाले बिप्लब सिन्हा की फर्म ‘मा तारा ट्रेडर्स’ को दिया था। बिप्लब सिन्हा वर्तमान में इस घोटाले में न्यायिक हिरासत में हैं। यह बताया गया है कि ठेका देते समय उस फर्म के पास तकनीकी परियोजनाओं को लागू करने की विशेषज्ञता और अनुभव से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण शर्तों की अनदेखी की गई थी।

सूत्रों ने बताया कि ‘मा तारा ट्रेडर्स’ को जो ठेका दिया गया, उसकी बोली भी संदेहास्पद रूप से अधिक थी। जहां इस फर्म को स्किल लैबोरेटरी की स्थापना का ठेका 2.97 करोड़ रुपये में दिया गया, वहीं उसी समय एक अन्य मेडिकल कॉलेज में इसी प्रकार की लैबोरेटरी मात्र 70 लाख रुपये में स्थापित की गई थी।

अब जांच अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि संदीप घोष ने इस ठेके के माध्यम से कितना  व्यक्तिगत वित्तीय लाभ प्राप्त किया।

इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), जो इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच कर रहा है, को भी कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। ईडी ने पाया है कि बिप्लब सिन्हा ने कई व्यावसायिक इकाइयां बनाई थीं, जो मेडिकल और गैर-मेडिकल सामग्रियों की आपूर्ति और रखरखाव के ठेकों को हासिल करने के लिए उपयोग की जाती थीं। ईडी ने इन इकाइयों के कागजी प्रमाणों का पता लगाया है, जो आर.जी. कर अस्पताल में जारी किए गए टेंडरों में नियमित रूप से भाग लेती थीं।