(हिन्दी दिवस पर करना होगा चिंतन)
कौशल मूंदड़ा
उदयपुर, 14 सितम्बर। कभी शब्दकोश में ढूंढ़े जाने वाले शब्द अब गूगल पर ढूंढ़े जाने लगे हैं। भले ही इसे हम तकनीकी विकास का नाम दें, लेकिन गूगल के भरोसे वाली हिन्दी अपनी शुद्धता को खो रही है। आप यदि गूगल पर शुद्धीकरण शब्द को शुद्धिकरण लिखकर ढूंढ़ेंगे, तब भी गूगल उसे ढूंढ़कर दे देगा, भले ही व्याकरण के नियम से शुद्धीकरण सही है।
शब्दों की मात्रा के मामले में गूगल छोटी और बड़ी दोनों मात्राओं के शब्द ढूंढ़कर दे देता है। यह इसलिए नहीं है कि गूगल दोनों को सही मानता है। दरअसल, गूगल अपने आप में सिर्फ एक ‘सर्च इंजन’ है जो उस पर लिखे जाने वाले शब्दों को ही ढूंढ़कर आपके सामने प्रस्तुत करता है। अब संसार में हिन्दी लिखने वाले एकदम शुद्ध हिन्दी तो लिखते नहीं हैं, हर तरह की मात्रा वाले शब्द इंटरनेट की दुनिया में लिखे जाते हैं, ऐसे में बेचारे की गूगल की क्या गलती, वह दोनों तरह के शब्द आपके सामने ले आता है।
लेकिन, यक्ष प्रश्न यह है कि हम हिन्दी भाषी और जिस देश की राष्ट्र भाषा हिन्दी है, वह अपनी हिन्दी की शुद्ध वर्तनी के लिए गूगल के भरोसे क्यों रह गया है। शब्द हो या शब्दार्थ हो, हर कोई यह कह देता है, गूगल कर लो। बस यहीं पर हमारी हिन्दी ‘मायूस’ होने लगी है। पराये कंधों की सवारी ने हमारी हिन्दी की लेखनी को दोषपूर्ण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
हिन्दी भाषा के विद्यार्थियों ने करण प्रत्यय पढ़ा है। जिस शब्द के साथ करण प्रत्यय जुड़ जाता है उसकी मात्रा बड़ी हो जाती है। शुद्धीकरण, आधुनिकीकरण, नवीनीकरण, तुष्टीकरण, सरलीकरण, वर्गीकरण, व्यवसायीकरण आदि शब्द इसके उदाहरण हैं, लेकिन जब हम गूगल पर ढूंढ़ने जाएंगे तो इनकी मात्राएं छोटी भी उपलब्ध हो जाएंगी।
ऐसे शब्द जिनमें अक्सर होती हैं त्रुटियां
-श्रीमती, पत्नी, वधू, बहू, दम्पती, पड़ोस, न्यौता, नेत्र, फेंकना आदि।
शब्दों को लिखने के दो-दो तरीके
कई शब्द हैं जिनमें ये और ए एक दूसरे के विकल्प हैं। रुपए को रुपये भी लिखा जाता है। इसी तरह, किराए-किराये, जरिए-जरिये, किए-किये दोनों तरह से लिखे जाते हैं। आवश्यकता एकरूपता की है जिसका प्रयास हिन्दी के वेत्ताओं द्वारा ही संभव है।
अंग्रेजी के शब्दों का उपयोग
-अंग्रेजी के शब्दों का हिन्दी अर्थ लिखने के बजाय सीधे देवनागरी में लिख देना भी परेशानी वाला है। सड़क को रोड लिखने का चलन हो चला है, लेकिन कई रोड़ में ड के नीचे बिन्दी लगा देते हैं। रेडियो में भी कई लोग ड में बिन्दी लगा देते हैं। जबकि, अंग्रेजी भाषा में ड़ का उच्चारण ही कहीं नहीं है।
क्यों लिख रहे यूनिवर्सिटी
-विश्वविद्यालय लिखना छोड़ अब यूनिवर्सिटी लिखा जाने लगा है। यूनिवर्सिटी को यूनिवरसिटी भी लिखा जाता है। दो तरह से लिखने के बजाय विश्वविद्यालय लिखने में क्यों परेशानी हो रही है।
अंग्रेजी शब्दों के बहुवचन
-स्कूल अंग्रेजी शब्द है, जिसका बहुवचन अंग्रेजी में स्कूल्स होता है, लेकिन हिन्दी में स्कूलों लिखा जाने लगा है। इसी तरह, स्टाल्स की जगह स्टालों, ट्रेन्स की जगह ट्रेनों, बसेज की जगह बसों, कोचेज की जगह कोचों आदि का उपयोग हो रहा है जो हिन्दी पर ही दाग की बिन्दी लगा रहा है।
मात्रा बदलते ही बदल जाते हैं अर्थ
-मात्राओं की तरफ ध्यान देने पर अक्सर लोग कह देते हैं, क्या फर्क पड़ता है। फर्क तो पड़ता है। मात्रा बदलते ही अर्थ बदल जाते हैं। जब अर्थ की तरफ गंभीरता से ध्यान दिया जाता है, तब समझ में आता है कि हम कितनी बड़ी त्रुटि कर रहे हैं। कुछ शब्दों के प्रयोगों से इस त्रुटि को हम समझ पाएंगे।
कुछ उदाहरण
- सुना – सूना (सुनना – सूनापन)
- पिटा- पीटा (पिट गया – लोगों द्वारा पीटा गया)
- कटि – कटी (कमर-कटना)
- पिता – पीता (पिताश्री- पीना)
- पीला – पिला (पीला रंग – पानी पिलाना)
- टीका – टिका (टीका लगाना – किसी पर टिक गया)
- बली – बलि (बलशाली – बलि चढ़ाना)
- चूना – चुना (चूना पत्थर वाला – चुनाव में चुना जाना)
- दिया-दीया (देने के अर्थ में – दीपक)