कोलकाता, 31 अगस्त। प्रोफेसर बिनय कुमार सोरेन को बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया है। यह पहली बार है जब विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर किसी आदिवासी समुदाय के व्यक्ति की नियुक्ति हुई है। विद्युत चक्रवर्ती के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह तीसरी बार है जब कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति की गई है।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने पल्ली शिक्षा भवन के प्राचार्य प्रोफेसर बिनय कुमार सोरेन को कार्यवाहक कुलपति बनाने की अधिसूचना जारी की है। इस संबंध में एक नोटिस विश्वभारती के कार्यवाहक सचिव अशोक महतो ने जारी किया है।

गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय में आदिवासी समुदाय के किसी व्यक्ति का कुलपति बनना ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है। विश्वविद्यालय के एक वर्ग का कहना है कि गुरुदेव आदिवासी और संथाल जनजाति के उत्थान के प्रति विशेष रुचि रखते थे। उन्होंने बालिपारा और पियर्सनपल्ली जैसे आदिवासी गांवों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज उनके द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में आदिवासी समुदाय के एक प्रोफेसर का कुलपति बनना वास्तव में एक ऐतिहासिक क्षण है।”

विद्युत चक्रवर्ती का कार्यकाल 08 नवंबर 2023 को समाप्त हुआ था। इसके बाद विश्वभारती में यह तीसरी बार है जब कार्यवाहक कुलपति बदले गए हैं। 2018 में विद्युत् चक्रवर्ती को स्थायी कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया था। उनके पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान, विश्वभारती को लेकर कई विवाद उत्पन्न हुए, जिनमें राज्य और केंद्र के बीच टकराव भी शामिल था। चक्रवर्ती का कार्यकाल समाप्त होने के बाद विश्वभारती के संविधान के अनुच्छेद 3(6) के अनुसार पहले संजय कुमार मलिक और बाद में अरविंद मंडल को कार्यवाहक कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया। अरविंद मंडल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद विश्वभारती के नियमों के अनुसार यह दायित्व बिनय कुमार सोरेन को दिया गया है।