कोलकाता, 23 अगस्त। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पद से इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों के भीतर संदीप घोष को दूसरे कॉलेज में उसी पद पर उन्हें क्यों बहाल कर दिया गया? यह सवाल सुप्रीम कोर्ट ने भी उठाया है। पिछले बुधवार को नेशनल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का पद पर घोष की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी।

शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह बताया गया कि संदीप घोष वर्तमान में उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार ईओएल या असाधारण अवकाश पर हैं।

गत बुधवार की दोपहर जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया था और मांग की थी कि उनकी मांगें मानने के लिए समय सीमा बांध दें। बाद में शाम को स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने बताया कि संदीप घोष का प्रिंसिपल पद रद्द कर दिया गया है।

नेशनल में प्रिंसिपल नहीं होंगे तो संदीप घोष के पद का क्या होगा? इसके जवाब में स्वास्थ्य भवन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि उन्हें ओएसडी बनाया जायेगा। खबर सामने आने के बाद काफी विवाद हुआ था। डॉक्टरों के एक वर्ग के बीच यह धारणा है कि ओएसडी पद पाना एक तरह का प्रमोशन है। चर्चा शुरू हो गई कि अनिवार्य प्रतीक्षा में भेजे बिना ओएसडी पर विचार क्यों किया जा रहा है।

स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संदीप घोष को ओएसडी बनाए जाने को लेकर कोई अधिसूचना जारी नहीं की गयी है।स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक, कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर संदीप घोष अब ‘असाधारण अवकाश’ पर हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट संदीप घोष पर क्या रुख अपनाता है, यह देखकर ही अगला फैसला लिया जाएगा।

गौरतलब है कि युवा डॉक्टर की मौत के मामले में सीबीआई लगातार संदीप घोष से पूछताछ कर रही है। इस बीच, राज्य पुलिस ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू कर दी थी। शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया।