कोलकाता, 20 अगस्त । आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉक्टर छात्रा की हत्या और बलात्कार के मामले में कई सवाल उठ रहे हैं। इस घटना के वास्तविक तथ्यों को सामने लाने के लिए जांच एजेंसियों द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। अस्पताल के अधिकारियों पर अपने कर्तव्यों में लापरवाही और साक्ष्यों को छिपाने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो अब इस मामले में आर. जी. कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पॉलिग्राफ टेस्ट कराने पर विचार कर रही है। जांच एजेंसियों को संदीप के बयानों में विरोधाभास नजर आ रहा है, जिसके कारण उनकी सत्यता की जांच के लिए पॉलिग्राफ टेस्ट कराने की बात कही जा रही है।

हालांकि, पॉलिग्राफ टेस्ट कराने के लिए अदालत की अनुमति आवश्यक होती है। सीबीआई पहले ही अदालत से गिरफ्तार सिविक वोलंटियर का पॉलिग्राफ टेस्ट कराने के लिए अनुमति प्राप्त कर चुकी है। अदालत ने इस अनुमति को मंजूरी दी है और अब यह संभावना है कि संदीप के मामले में भी सीबीआई इसी दिशा में कदम उठा सकती है। साथ ही, घटना के दिन पकड़े गए सिविक वोलंटियर के मोबाइल फोन की टावर लोकेशन की भी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है।

जांच एजेंसियों को संदेह है कि पीड़िता को घटना की रात खाने में दवा मिलाकर या किसी अन्य तरीके से बेहोश किया गया हो सकता है। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसी भी प्रकार के जहर का संकेत नहीं मिला है, केवल पेट में भोजन की मात्रा का उल्लेख किया गया है। सीबीआई के एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई खामियां हैं और दूसरा पोस्टमार्टम कराना अत्यंत आवश्यक था। सीबीआई ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को उच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने की योजना बनाई है।

सीबीआई के जांचकर्ताओं का मानना है कि इस मामले में पारिस्थितिकी प्रमाण और साक्ष्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्हें यह भी संदेह है कि अस्पताल के अधिकारियों के एक समूह ने घटना के संबंध में कई तथ्यों को छिपाने की कोशिश की है। संदीप घोष से लगातार पूछताछ के दौरान इस तरह के संकेत मिले हैं।

बीते सोमवार को भी संदीप से 12 घंटे की लंबी पूछताछ की गई। रात 11:40 बजे वे सीजीओ कॉम्प्लेक्स से बाहर निकले। जांच के दौरान संदीप ने डॉक्टर छात्रा की मौत के बाद दिए गए आदेशों और उठाए गए कदमों के बारे में कई बातें बताई हैं, लेकिन उनके बयान में कई असंगतियां पाई गई हैं।

जांचकर्ताओं ने संदीप से यह भी पूछा कि घटना के दौरान सेमिनार कक्ष के पास के हिस्से की मरम्मत अचानक क्यों शुरू की गई थी, इस पर भी उनका जवाब संतोषजनक नहीं रहा।

इसके अलावा, उस रात ड्यूटी पर तैनात वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टरों, नर्स और सुरक्षा कर्मियों से पूछताछ के दौरान भी विरोधाभासी जानकारियां सामने आई हैं। जांचकर्ता अब उन सभी अधिकारियों के मोबाइल फोन रिकॉर्ड भी एकत्र कर रहे हैं।

इस बीच, सीबीआई अधिकारियों ने मृतक छात्रा के माता-पिता से उनके घर जाकर बातचीत की है। घटना के दिन सिविक वोलंटियर की गतिविधियों की फुटेज को भी सीबीआई ने ट्रैफिक विभाग के सीसीटीवी कैमरों से एकत्र किया है। अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं का थ्रीडी स्कैनर के माध्यम से मैपिंग और वीडियो भी किया गया है, ताकि साक्ष्यों को और अधिक मजबूती से पेश किया जा सके।