सम्मानित वायु योद्धाओं ने मिशन के दौरान राष्ट्र की सेवा में योगदान दिया
नई दिल्ली, 14 अगस्त । भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस पर वायु सेना को छह वीरता पदक देने का ऐलान किया है। वायु सेना के दो फ्लाइंग पायलटों को उनकी बहादुरी के लिए शौर्य चक्र से नवाजा गया है। इन पदकों से सम्मानित वायु योद्धाओं ने मिशन के दौरान अपने दायित्वों को बखूबी निभाते हुए राष्ट्र की सेवा में योगदान दिया है।
राष्ट्रपति ने फ्लाइंग (पायलट) विंग कमांडर अक्षय अरुण महाले को वायु सेना पदक (वीरता), जूनियर वारंट ऑफिसर विकास राघव आईएएफ (गरुड़) को वायु सेना पदक (वीरता), सार्जेंट अश्विनी कुमार (फ्लाइट गनर) को वायु सेना पदक (वीरता), स्क्वाड्रन लीडर महिपाल सिंह राठौर फ्लाइंग (पायलट) को वायु सेना पदक (वीरता), विंग कमांडर आनंद विनायक अगाशे फ्लाइंग (पायलट) को वायु सेना पदक (वीरता), विंग कमांडर जसप्रीत सिंह संधू फ्लाइंग (पायलट) को वायु सेना पदक (वीरता) प्रदान किया है। इसके अलावा विंग कमांडर वर्नोन डेसमंड कीन वीएम फ्लाइंग (पायलट) और स्क्वाड्रन लीडर दीपक कुमार फ्लाइंग (पायलट) को शौर्य चक्र से नवाजा गया है।
1. विंग कमांडर अक्षय अरुण महाले इस समय एक फाइटर स्क्वाड्रन में बतौर फ्लाइंग (पायलट) तैनात हैं। उन्हें 26 सितंबर, 23 को आबादी वाले क्षेत्र में बड़ी झील के ऊपर एरोबेटिक्स प्रदर्शन के लिए अधिकृत किया गया था। इस दौरान टरबाइन गैस तापमान (टीजीटी) में अचानक 80-90 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने पर विमान का एक इंजन खराब हो गया। केवल एक इंजन उपलब्ध होने के कारण विमान की गति 250 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से नीचे तेजी से गिरने लगी। इस गंभीर स्थिति में भी पायलट ने विमान को आबादी वाले इलाके से दूर मोड़ लिया। अगर उसने ऐसा नहीं किया होता तो विमान में अनियंत्रित गति के साथ भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती थी। विमान ने धीरे-धीरे ऊंचाई हासिल की और उसे सुरक्षित तरीके से ऊपर ले लिया गया। इन जानलेवा परिस्थितियों के दौरान पायलट ने अपना धैर्य बनाए रखा और पूरी तरह से व्यावसायिकता का परिचय दिया।
2. जूनियर वारंट ऑफिसर विकास राघव इस समय वायु सेना की गरुड़ फ्लाइट की तैनात टुकड़ी में हैं। उन्हें 15 अगस्त, 2023 को कांगड़ा (हिमाचल) में भीषण बाढ़ से निपटने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बचाव और निकासी अभियान के दौरान वह एक छत पर उतरे, जहां उन्हें एक लकवाग्रस्त 68 वर्षीय मरीज, आठ दिन के एक बच्चे के साथ मां और दो गर्भवती माताओं की गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा, जिन्हें चिकित्सा सहायता के लिए तत्काल निकालने की आवश्यकता थी। उन्होंने पूरी तरह से लकवाग्रस्त रोगी को सुरक्षित करने के लिए एक हार्नेस तैयार करके अपनी बांहों में सुरक्षित रूप से पकड़े रखा। इसके बाद उन्होंने साहसपूर्वक 8 दिन के नाजुक शिशु को बिना हार्नेस के निकाला, ताकि हेलीकॉप्टर के बहाव में फंसने से शिशु के दम घुटने के किसी भी संभावित जोखिम को रोका जा सके। इसके बाद उन्होंने गर्भावस्था के अंतिम चरण में दोनों गर्भवती माताओं को निकाला। उन्होंने एक अन्य बचाव अभियान में चार शिशुओं को बचाने में अनुकरणीय बहादुरी का प्रदर्शन किया। उन्होंने कुल 494 लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 152 लोगों को सुरक्षित निकालने में अकेले जिम्मेदारी निभाई।
3. सार्जेंट अश्विनी कुमार इस समय एक हेलीकॉप्टर इकाई में तैनात हैं। उन्हें 15 अगस्त, 2023 को हिमाचल प्रदेश के फतेहपुर के पास मानवीय सहायता और आपदा राहत संचालन के लिए तैनात किया गया था। उन्होंने पहले दिन कम ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर से उतरकर विकलांग नागरिकों को बचाया। दूसरे दिन वे एक तेज बहती नदी से अलग-थलग क्षेत्र में जीवित बचे लोगों से मिले। उन्होंने खुद को हेलीकॉप्टर के हार्ड पॉइंट पर बांध लिया और सीढ़ी के आखिरी पायदान पर उतर गए और जीवित बचे लोगों को हेलीकॉप्टर में खींच लिया। सार्जेंट अश्विनी कुमार ने कम समय में तेजी से ऑपरेशन चलाकर 510 लोगों की जान बचाई, जिसमें 42 लोगों की जान चरखी से बचाई गई।
4. स्क्वाड्रन लीडर महिपाल सिंह राठौर इस समय एक फाइटर स्क्वाड्रन में तैनात हैं। उन्हें 04 जनवरी, 2024 को दो 1000 पाउंड लाइव बमों के साथ एक प्रशिक्षण सॉर्टी उड़ाने के लिए अधिकृत किया गया था। टेक ऑफ के दौरान रोटेशन गति पर जैसे ही उन्होंने नियंत्रण स्तंभ को पीछे की ओर बढ़ाया तो विमान ने प्रतिक्रिया नहीं की। उनका अगला प्रयास भी असफल रहा। केवल 2500 फीट रनवे शेष रहने पर भी उन्होंने सही ढंग से टेक ऑफ करने का फैसला किया। उड़ान के बाद के विश्लेषण से पता चला कि विमान में कुछ खराबी थी, जिसके कारण अगर पायलट ने उड़ान भरने में कोई कसर छोड़ी होती तो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता था। सीमित अनुभव के बावजूद उन्होंने असाधारण साहस और उत्कृष्ट धैर्य का परिचय दिया, जिसके परिणामस्वरूप विमान को सुरक्षित रूप से वापस लाया गया।
5. विंग कमांडर आनंद विनायक अगाशे इस समय एक हेलीकॉप्टर यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर हैं। 15 अगस्त, 2023 को भारी बारिश के कारण महाराणा प्रताप सागर के बाढ़ के द्वार खोल दिए गए, जिससे कांगड़ा (हिमाचल) जिले के गांव जलमग्न हो गए। प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को बचाने के लिए भारतीय वायु सेना को मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियान चलाने का काम सौंपा गया। इसके लिए विंग कमांडर आगाशे ने अपनी टीम के साथ इस तरह के उच्च जोखिम वाले कार्य के लिए गहन और सावधानीपूर्वक योजना बनाई। बाढ़ से घिरे क्षेत्र में सैकड़ों लोग घरों और छतों पर फंसे हुए थे। विंग कमांडर अगाशे ने एचटी/एलटी केबल, माइक्रोवेव टावर और ऊंचे पेड़ों के करीब खतरनाक इलाके में सटीक उड़ान भरी, जो हेलीकॉप्टर की तेज हवा के कारण हिल रहे थे। इसके बावजूद उन्होंने 42 फंसे हुए नागरिकों को सुरक्षित निकाला। जीवित बचे लोगों में हृदय रोगी, गर्भवती महिलाएं, शिशु, बुजुर्ग और विशेष रूप से सक्षम लोग शामिल थे। पूरे मिशन के दौरान उनकी टीम ने 1002 लोगों की जान बचाई।
6. विंग कमांडर जसप्रीत सिंह संधू इस समय एक फाइटर स्क्वाड्रन में तैनात हैं। 25 जनवरी, 2024 को उन्हें मिग बाइसन पर एयरफ्रेम और इंजन चेक सॉर्टी उड़ाने के लिए अधिकृत किया गया। लैंडिंग के समय प्रतिकूल क्रॉस विंड के कारण विमान स्टारबोर्ड की ओर चला गया। इसके बावजूद शांत स्वभाव बनाए रखते हुए उन्होंने तुरंत पूर्ण ब्रेक लगाकर विमान को बंद कर दिया। उन्होंने पहिया ब्रेक और टायरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना रनवे की दाहिने लेन पर विमान को सफलतापूर्वक रोक दिया। इस दौरान कार्रवाई में एक सेकेंड की भी देरी से विमान रनवे से बाहर जा सकता था। बाद में जांच से पता चला कि मुख्य रेडियो का एंटीना कनेक्टर ऑटोपायलट बे में पतवार पैडल के लिंक रॉड तंत्र को बाधित करने से यह स्थिति पैदा हुई थी। इसके बावजूद पायलट की सूझबूझ से मूल्यवान हवाई संपत्ति को सुरक्षित बचाया जा सका।
7. विंग कमांडर वर्नोन डेसमंड कीन वीएम इस समय एक फाइटर स्क्वाड्रन में तैनात हैं। जगुआर लड़ाकू विमान पर 24 जुलाई, 2023 को एक सॉर्टी के दौरान उन्हें तेल प्रणाली ने खराबी का संकेत दिया। ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं हुई थी लेकिन पायलट ने बाएं इंजन को बंद करने का फैसला लिया और निकटतम रनवे के लिए दाएं इंजन का उपयोग करके रिकवरी शुरू की। इस बीच 2500 फीट की ऊंचाई पर दाहिना इंजन फेल हो गया, जिससे विमान तेजी से ऊंचाई खोते हुए उत्तर प्रदेश के घनी आबादी वाले गोरखपुर शहर के पास पहुंच गया। एक इंजन के सहारे पायलट ने विमान को नियंत्रित करके गैर आबादी वाले क्षेत्र की ओर मोड़ दिया और खाली ईंधन टैंकों को आबादी वाले क्षेत्र से दूर फेंक दिया। उन्होंने साथ ही बाएं इंजन को फिर से चालू करके असाधारण साहस, दृढ़ता और धैर्य का परिचय देते हुए विमान को क्षतिग्रस्त होने से बचाकर जमीन पर जान और संपत्ति के संभावित नुकसान को बचाया।
8. स्क्वाड्रन लीडर दीपक कुमार इस समय एयर फ़ोर्स स्टेशन हकीमपेट में तैनात हैं। उन्हें 25 अगस्त, 2023 को एक प्रशिक्षु पायलट के साथ किरण विमान में एक निर्देशात्मक रात्रि उड़ान भरने के लिए अधिकृत किया गया था। अंधेरी रात में उड़ान के दौरान कम ओवरशूट के बाद चक्कर लगाते समय विमान से पक्षी टकराया, जिससे इंजन में आग लग गई। उन्होंने तुरंत स्थिति का आकलन करके विमान को सीधे आगे की ओर उतारने का निर्णय लिया। रात में सीमित संकेतों के बावजूद उन्होंने अपने असाधारण निर्णय और उत्कृष्ट उड़ान कौशल का उपयोग करके विमान को छोटे रनवे पर जबरन उतारा। लैंडिंग के बाद रनवे की उपलब्ध लंबाई लगभग 1000 फीट थी, जिसमें स्विच ऑफ करने, ब्रेक लगाने और अरेस्टर बैरियर को जोड़ने जैसी उनकी त्वरित कार्रवाई के परिणामस्वरूप विमान को न्यूनतम क्षति के साथ सुरक्षित रूप से रोक दिया गया।