वक्फ बोर्ड संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी न देने वाले बिल का विरोध करेंगे देश भर के मुसलमान : जमीअत

नई दिल्ली, 08 अगस्त । जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गुरुवार को वक़्फ़ बोर्ड पर संसद में प्रस्तुत किए गए नए संशोधित बिल पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इन संशोधनों के जरिए सरकार वक़्फ़ की संपत्तियों की स्थिति और स्वभाव को बदल देना चाहती है, ताकि उन पर क़ब्ज़ा करना आसान हो जाए। नया संशोधन पारित हो जाने पर कलेक्टर राज अस्तित्व में आएगा और वक़्फ़ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम नहीं होगा, बल्कि कलेक्टर का फैसला अंतिम होगा। वक़्फ़ एक्ट में किया जाने वाला प्रस्तावित संशोधन भारतीय संविधान के जरिए प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ है, जो भारतीय संविधान की धारा 14, 15 और 25 का उल्लंघन है।

उन्होंने कहा कि उक्त संशोधन से न्यायिक स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी और यह संशोधन पक्षपात करने वाला भी है, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। वक़्फ़ मुसलमानों के महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्यों में शामिल है। वक़्फ़ ट्रिब्यूनल समाप्त करके कलक्टर के पास अधिकार दिए जाने से भारत की न्यायिक स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी। मौलाना मदनी ने कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम का मामला नहीं, बल्कि देश के संविधान, नियम और धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा है, यह बिल हमारी धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि केंद्र में जब से यह सरकार आई है, तभी से विभिन्न हथकंडों और बहानों से मुसलमानों को भय में रखने के लिए ऐसे-ऐसे नए कानून ला रही है, जिससे हमारे धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप होता है। हालांकि, सरकार यह बात भली-भांति जानती है कि मुसलमान हर नुक़सान सह सकता है लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता।

मौलाना मदनी ने स्पष्ट किया कि मुसलमानों की दान की हुई संपत्ति अल्लाह को समर्पित होती है लेकिन सरकार की नीयत खराब है, वो हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करके मुसलमानों की कीमती संपत्तियों को हड़प करना चाहती है। हमें ऐसा कोई संशोधन स्वीकार नहीं होगा, जो वक़्फ़कर्ता की इच्छा के विपरीत हो या जो वक़्फ़ की स्थिति को बदल दे।