नई दिल्ली, 2 अगस्त । विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया भर में आने वाले समय में राष्ट्रवाद का भाव तेजी से बढ़ने वाला है। कुछ विकसित देशों में इसको लेकर गलत धारणा है। इन देशों के भू-राजनीतिक और भू- आर्थिक निर्णयों के कारण वहां गुणवत्तापूर्व जीवन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। वहां लोगों का जीवन निराशापूर्ण होता जा रहा है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उक्त बातें ‘शक्ति के बदलते संतुलन और बढ़ते राष्ट्रवाद के बीच एक अनिश्चित बहुध्रुवीय विश्व में भारत की बड़ी रणनीति’ विषय पर आयोजित 7वें जसजीत सिंह मेमोरियल व्याख्यान में कही। यह आयोजन सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज ने नई दिल्ली के वायु शक्ति अध्ययन केन्द्र में किया था।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि भारत को इन वैश्विक बदलावों का मूल्यांकन करना चाहिए। वस्तुतः राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना दुनिया के लिए भी अच्छा होता है। इससे घनिष्ठ संबंध पैदा होते हैं। वैसे ही संबंध जिसे हमने ग्लोबल साउथ के साथ विकसित किया है।
उन्होंने कहा, “आख़िरकार, यह राष्ट्रवाद ही था जिसने स्वतंत्रता, विकास, पुनर्संतुलन और बहु-ध्रुवीयता को जन्म दिया। कई समाजों में, जैसे-जैसे ये प्रवृत्तियाँ परिपक्व हुईं, अधिक प्रामाणिक प्रतिनिधित्व ने जड़ें जमा लीं। वे स्वाभाविक रूप से इसके सांस्कृतिक पहलुओं में भी पुनर्संतुलन का विस्तार करना चाहेंगे। आप चाहें या न चाहें, निकट भविष्य में दुनिया काफ़ी अधिक राष्ट्रवादी हो जाएगी।”
उन्होंने कहा कि दुनिया में कई विभाजन और गतिरोधों से गुजर रही है। कुछ मामलों में हमारे हित सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं और हमें ऐसे विकल्प चुनने में घबराना नहीं चाहिए जिनसे हमें लाभ हो। ऐसे अवसर होंगे जब हम दूसरों द्वारा निर्धारित शर्तों में शामिल नहीं होना चाहेंगे। कुल मिलाकर सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि हम अपना निर्णय लें और फिर समान खिलाड़ियों के साथ साझा आधार तलाशें।