अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच ने राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति के उत्थान के लिए व्यक्त की प्रतिबद्धता

कोलकाता, 24 जुलाई। पद्मश्री प्रहलाद राय अग्रवाल ने जोर देकर कहा है कि हमें अपने दैनिक व्यवहार में राजस्थानी लोगों से राजस्थानी भाषा में बातचीत करनी चाहिए।

वे अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच, कलकत्ता द्वारा शनिवार एवं रविवार 20-21 जुलाई को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति पर आधारित राष्ट्रीय महोत्सव के उद्घाटन पर बोल रहे थे। कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता के रूप में उन्होंने कहा कि जब हर भाषा के लोग अपनी भाषा की उपेक्षा नहीं करते तो हम क्यों करें?

इस दो दिवसीय महोत्सव में पूरे देश से लगभग 200 प्रतिनिधि उत्साह से भाग लेने पहुंचे। दोनों दिन सुबह से शाम तक राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति की चुनौतियों, समस्याओं और चिंताओं पर विभिन्न सेमिनार हुए।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र भट्टड़ ने की। उद्घाटन सत्र में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद शाह, अनिल जाजोदिया एवं रवि अग्रवाल ने भी विचार रखे। कार्यक्रम की संयोजिका अनुराधा खेतान,आतिथ्य प्रतिनिधि पंकज राठी एवं प्रांतीय अध्यक्ष मोहित अग्रवाल भी मंचासीन रहे। कार्यक्रम समन्वयक मुकेश खेतान ने उद्घाटन सत्र का संचालन किया।

पहले दिन के विभिन्न सत्रों में कठपुतली कला का सजीव प्रदर्शन, “म्हारी सांठी” या म्हारी कलम में मंच के सदस्यों द्वारा स्वरचित रचना पठन, कथाकार विजयदान देथा की कहानी कंजूस सेठ पर नाटक मंचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

मारवाड़ी कहावतों और मुहावरों की दुनिया विषय पर आयोजित सत्र में प्रसिद्ध साहित्यकार राजेंद्र केडिया ने कहा कि कहावतों के प्रयोग से भाषा में लालित्य आता है। जो बात 40 शब्दों में कही जा सकती है, वह कहावत चार शब्दों में कह सकती है। कहावतों का लोक बड़ा मस्त है। हर जाति, पेशे, प्राणी, जानवर में ऐसी कहावतें हैं जो जीवन की सच्चाई को चंद शब्दों में व्यक्त कर देती हैं।

“आपणी धरोहर” विषय पर आयोजित कार्यशाला में मोटिवेटर गुरु अनिल कुमार जाजोदिया ने अपने विस्तृत भाषण में पीपीटी के माध्यम से धरोहर का अर्थ एवं उन्हें सहेजने के उपाय बताए।

विभूति सम्मान सत्र में प्रसिद्ध मूर्तिकार व चित्रकार मातूराम वर्मा को सम्मानित किया गया। उन्हें शॉल, श्रीफल और समाज रत्न-सम्मान के साथ 21 हजार रुपये की राशि भेंट की गई। प्रशस्ति पत्र का वाचन बिमल नौलखा ने किया।

राजस्थानी भाषा का महत्व सत्र में मुख्य वक्ता रतन शाह ने कहा कि कि अब उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष दोनों राजस्थानी हैं। मारवाड़ी युवा मंच को अपनी सभी 800 शाखाओं में राजस्थानी प्रतियोगिताएं शुरू करनी चाहिए। इस दिन राजस्थानी सीखने के लिए एक ऐप लॉन्च किया गया था। इस ऐप के माध्यम से हम-हमारे बच्चे घर बैठे मारवाड़ी सीख सकते हैं।

कार्यक्रम के दूसरे दिन के विभिन्न सत्रों में ‘आओ मंच न जाणां’, लोक री बातां में अन्य भाषाओं की लोककथा का राजस्थानी भाषा में अनुवाद कर वाचन, मंच द्वारा मायड़ भाषा-साहित्य-संस्कृति पर किये जा रहे कार्यों का प्रदर्शन, मुक्त विचार का आयोजन हुआ। विशेष सत्र, अनुभव-संवाद का आयोजन पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मनोज गोयल के संयोजन में हुआ।

राजस्थानी लोक गीत-संगीत सत्र में वीणा म्यूजिक के संस्थापक के.सी. मालू ने कहा कि राजस्थानी लोकगीत राजस्थानी भाषा की रीढ़ हैं।

राजस्थानी साहित्य- वर्तमान स्थिति और संभावनाएं सत्र में मशहूर राजस्थानी साहित्यकार चेतन स्वामी ने कहा कि मंच को अन्य भाषा के साहित्य का अनुवाद करना चाहिये।

लिखने-पढ़ने को बेहतर बनाएं सत्र में प्रशिक्षक की भूमिका निभा रहे मशहूर शायर जनाब शीन काफ़ निज़ाम ने मंच सदस्यों को कविता लेखन की बारीकियां समझाते हुए कहा कि हमें अपनी शैली में लिखना चाहिये और सुनने की आदत डालनी चाहिये।उनके सत्र ने सबको सम्मोहित कर दिया।

समापन सत्र में कार्यक्रम सह-समन्वयक धर्मराज माहेश्वरी ने संचालन किया। सत्र के दौरान विभिन्न सत्रों के प्रतिभागियों, आतिथ्य शाखाओं एवं आतिथ्य समिति सदस्यों को प्रतीक चिन्ह भेंट किये गये। सत्र की अध्यक्षता मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विकास अग्रवाल ने की। धन्यवाद ज्ञापन प्रांतीय सहायक मंत्री विवेकानंद जोशी ने दिया।

कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कपिल लखोटिया, विजय कानोड़िया, संतोष कानोड़िया, महेश शाह, सुभाष सोंथालिया, प्रदीप जीवराजका, रोहित सरावगी, अमित तोदी, गोविंद टिबड़ेवाल, बिनोद महेश्वरी, संदीप सरावगी, श्रवण सहल, प्रमोद जैन, अरुणा सहल, श्वेता सरावगी, सोनिया जैन, सोनम टिबड़ेवाल, सुशील भावसिंहका, चेतन डालमिया, नेहा महेश्वरी, मोहित ड्रोलिया, उमंग झुनझुनवाला, सज्जन बेरीवाल, गोपाल अग्रवाल, चेतन डालमिया सहित कई कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।