कोलकाता, 9 जुलाई । पश्चिम बंगाल में नगरपालिकाओं की भर्ती घोटाले के मामले में जांच कर रही केंद्रीय एजेंसियों के सामने कोड वर्ड्स बड़ी बाधा बन कर उभरे हैं। जब्त किए गए दस्तावेजों में प्रदर्शित कुछ ‘कोड्स’ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के लिए बाधा बने हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, सीबीआई और ईडी के जांचकर्ता जो इस मामले में समानांतर जांच कर रहे हैं, ने कुछ कोड्स को समझ लिया है। लेकिन अभी भी अधिक कोड्स को समझना बाकी है।
सूत्रों ने बताया कि एक बार यह डिकोडिंग पूरी हो जाने के बाद, कथित घोटाले में धन के लेनदेन का स्पष्ट चित्र मिलेगा, जो अंततः मुख्य लाभार्थियों तक पहुंचाएगा।
इन कोड्स की मौजूदगी का पहली बार पता ईडी के अधिकारियों को पिछले साल तब चला जब उन्होंने निजी प्रमोटर अयन सिल के निवास पर छापेमारी की थी। सिल स्कूल नौकरी मामले में सह-अभियुक्त हैं और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
सिल के निवास पर, केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने 28 पन्नों का एक दस्तावेज प्राप्त किया, जिसमें नगर पालिकाओं की नियुक्ति में भी भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था।
सूत्रों के अनुसार, इन दस्तावेजों में कुछ ‘कोड्स’ लिखे हुए थे। छापेमारी के दौरान, ईडी अधिकारियों ने सिल की व्यक्तिगत डायरी भी प्राप्त की, जिसमें इसी तरह के कोड्स लिखे हुए थे।
डायरी में यह भी विवरण था कि इन नगरपालिकाओं में किस श्रेणी की नौकरियों के लिए कितनी राशि तय की गई थी, जिनमें से अधिकांश कोलकाता-समीपवर्ती उत्तर 24 परगना जिले में थीं।
इसी तरह के कोड्स आगे की जांच के दौरान जब्त किए गए अन्य दस्तावेजों में भी पाए गए। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों का मानना है कि प्रत्येक अनियमित भर्ती के पीछे औसतन पांच लाख रुपये घूस ली गई। और इन नगरपालिकाओं की नौकरी में अनियमितताओं का कुल वित्तीय लेनदेन लगभग 100 करोड़ रुपये है।