नई दिल्ली, 27 जून। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए कहा कि नीतियों का विरोध करना और संसद की कार्यवाही को बाधित करना दो अलग-अलग बातें हैं। जब संसद सुचारु रूप से चलती है और स्वस्थ बहस होती है तो लोगों का प्रशासन पर भरोसा बढ़ता है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने तीसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के गठन के बाद अपने पहले अध्यक्षीय भाषण में जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए चुनावों की सराहना की और कहा कि इन चुनावों ने अशांति फैलाने की मंशा रखने वाली विघटनकारी ताकतों को एक कड़ा संदेश दिया है।
राष्ट्रपति ने सभी नवनिर्वाचित सांसदों को बधाई दी और 2024 के लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक कराने के लिए चुनाव आयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि 2024 के लोक सभा चुनाव की चर्चा आज पूरी दुनिया में है। दुनिया देख रही है कि भारत के लोगों ने लगातार तीसरी बार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाई है।
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में सरकार की उपलब्धियों गिनाईं और कहा कि आगामी बजट भविष्य की दूरदर्शिता का दस्तावेज होगा। इसमें बड़े आर्थिक और सामाजिक निर्णयों के साथ ही अनेक ऐतिहासिक कदम भी देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि दुनियाभर से निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्यों में स्वस्थ स्पर्धा हो। यही कंप्टीटिव को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म की सच्ची स्पिरिट है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के संकल्प ने भारत को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना दिया है। 10 साल में भारत 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से ऊपर उठकर पांचवें नंबर पर पहुंचा है। साल 2021 से लेकर साल 2024 के बीच भारत ने औसतन 8 प्रतिशत की रफ्तार से विकास किया है और ये ग्रोथ सामान्य समय में नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्ष में ऐसे अनेक रिफॉर्म हुए हैं, जिनका बहुत लाभ देश को आज मिल रहा है। जब ये रिफॉर्म किए जा रहे थे, तब भी इनका विरोध किया गया था, नकारात्मकता फैलाने की कोशिश की गई थी, लेकिन ये सारे रिफॉर्म समय की कसौटी पर खरे साबित हुए हैं। उन्होंने इस संबंध में 10 साल पहले भारत के बैंकिंग सेक्टर को डूबने से बचाने के लिए सरकार द्वारा बैंकिंग रिफॉर्म का उल्लेख किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार डिजिटल इंडिया और डाक नेटवर्क का उपयोग कर दुर्घटना और जीवन बीमा का कवरेज बढ़ाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में सुधार प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए ताकि वे युद्ध के लिए तैयार रहें। बैंकों की मजबूती उन्हें ऋण आधार बढ़ाने तथा राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि में योगदान करने में सक्षम बनाती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं में अधिक भागीदारी की मांग करने वाली महिलाओं को महिला आरक्षण कानून से सशक्त बनाया गया है। पूर्वोत्तर में विकास के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, सरकार एएफएसपीए को धीरे-धीरे हटाने के लिए भी काम कर रही है। सरकार पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए काम कर रही है। पिछले 10 वर्षों में कई पुरानी समस्याओं का समाधान किया गया।
राष्ट्रपति ने लोकसभा में पहली बार चुन कर आये सदस्यों और पुराने सदस्यों से संसद के सुचारु संचालन में सहयोग की अपील करते हुए कहा कि आज का समय हर प्रकार से भारत के लिए अनुकूल है। इस समय का अधिक से अधिक लाभ देश को मिले, ये दायित्व सरकार के साथ-साथ संसद के हर सदस्य का भी है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत की सरकार और संसद क्या निर्णय लेती है, क्या नीतियां बनाती हैं, इस पर पूरे विश्व की नजर है। राष्ट्रपति ने कहा, “नीतियों का विरोध और संसदीय कामकाज का विरोध, दो भिन्न बातें हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति सरकारी योजनाओं से अछूता न रहे। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि आप 140 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम बनेंगे।
उन्होंने कहा कि अक्सर विरोध परक मानसिकता और संकीर्ण स्वार्थ के कारण लोकतंत्र की मूल भावना का बहुत अहित हुआ है। इसका प्रभाव संसदीय प्रणाली पर भी पड़ता है और देश की विकास यात्रा पर भी पड़ता है। देश में कई दशकों तक अस्थिर सरकारों के दौर में कई सरकारें चाहते हुए भी न रिफॉर्म कर पाईं और न ही आवश्यक निर्णय ले पाईं। भारत की जनता ने निर्णायक बनकर इस स्थिति को बदला है।
नीट-यूजी पेपर लीक और अन्य परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आरोपों की उच्च स्तरीय जांच हो रही है। सरकार दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि समाधान तक पहुंचने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी ठोस उपाय करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकारी भर्ती हो या फिर परीक्षाएं, किसी भी कारण से इनमें रुकावट आए, ये उचित नहीं है। इनमें शुचिता और पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने परीक्षाओं के दौरान अनुचित साधनों के इस्तेमाल के खिलाफ सख्त कानून बनाया है।
राष्ट्रपति ने 25 जून, 1975 को लागू हुए आपातकाल का स्मरण करते हुए कहा कि आपातकाल संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार भी भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि अब भारत के उस भूभाग, जम्मू-कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह लागू हो गया है, जहां आर्टिकल 370 की वजह से स्थितियां कुछ और थीं।
राष्ट्रपति ने देश के भीतर और बाहर मौजूद विघटनकारी ताकतों से सदस्यों को आगाह करते हुए कहा कि आज की संचार क्रांति के युग में विघटनकारी ताकतें, लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में दरारें डालने की साजिशें रच रही हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी का दायित्व है कि इस चुनौती से निपटने के लिए नए रास्ते खोजें।