नई दिल्ली, 25 जून। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मंगलवार को आपातकाल को काला दिवस के रूप में मना रही है। आज भाजपा मुख्यालय में आयोजित ‘लोकतंत्र के काले दिन’ कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल लगा कर भारतीय राजनीति के इतिहास पर कलंक लगाया है। कांग्रेस की सोच में उनकी कार्यशैली में प्रजातंत्र की कोई गुंजाइश ही नहीं है। जिसने विरोध किया, उसे समाप्त करने में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।

नड्डा ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आज भी कांग्रेस जिस तरह से आचरण कर रही है, उससे उनके रौबदार रवैये का पता चलता है। वे लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव सशर्त कराना चाहते हैं। विडंबना यह है कि कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में, जहां इंडी गठबंधन सत्तारूढ़ है, वहां अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद सत्तारूढ़ दल के सदस्यों के पास है। तेलंगाना में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों अपने बनाए हैं। कनार्टक में इनका ही स्पीकर और इनका ही डिप्टी सपीकर है। पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी का ही स्पीकर और डिप्टी स्पीकर है। ये ऐसे लोग हैं, जो दोहरे मापदंड में जीते हैं। यह कांग्रेस पार्टी का पाखंड है, जो बेनकाब हो रहा है।

उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि वे आपातकाल का दंश झेल चुके लोगों से मिलें और यह जानने की कोशिश करें कि तब स्थिति क्या थी। आज का नौजवान कभी कल्पना भी नहीं कर सकता। उस समय, जिन लोगों ने प्रजातंत्र की रक्षा के लिए अपनी आहुति दी थी, उनके कारण आज प्रजातंत्र मजबूत होकर खड़ा है। आपातकाल के काले दिन के आज 50 साल पूरे हो गए हैं। एक ही रात में 9000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, छोटे-बड़े किसी भी नेता को नहीं छोड़ा गया और 19 महीने से ज्यादा समय तक जेल में रखा गया था। देश का कोई प्रमुख नेता नहीं बचा था। मोरारजी देसाई, मोहन धारिया, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी… ऐसी लंबी श्रृंखला है। इन नेताओं को एक दिन या दो दिन नहीं, बल्कि 19 महीनों से ज्यादा जेल में रहना पड़ा था। इन नेताओं का कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने प्रजातंत्र की रक्षा और मजबूती के लिए आवाज उठाई थी।

उन्होंने कहा कि 12 जून, 1975 को इलाहाबाद के हाई कोर्ट का फैसला आया और कोर्ट ने अनुचित तरीके से चुनाव लड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया था और उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद संविधान को बदलकर इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने का प्रयास किया। जिसके बाद पूरा देश उद्वेलित हो गया और इस उद्वेलना को रोकने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की रात को आपातकाल की घोषणा की और हजारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।