कोलकाता, 17 जून। शब्दाक्षर प्रदेश समिति के सौजन्य से जनसंसार समाचार पत्र के संपादक गीतेश शर्मा के धर्मतल्ला स्थिति अड्डा सभागार ‘जन संसार’ में शनिवार को काव्य-अनुष्ठान आयोजित किया गया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता गीतकार योगेन्द्र शुक्ल ‘सुमन ने की। दया शंकर मिश्रा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तथा प्रभात चन्द्र तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन थे। जनसंसार के व्यवस्थापक, पत्रकार व नाट्य समीक्षक डॉ. प्रेम कपूर ने स्वागत भाषण दिया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में ‘शब्दाक्षर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह को उनके गजल संग्रह ‘सन्नाटे भी बोल उठेंगे’ को भारतीय रेलवे के रेलवे बोर्ड से मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर पश्चिम बंगाल के साहित्यकारों की ओर से शायर व कथाकार सेराज खान बातिश ने उत्तरीय ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर रवि प्रताप सिंह ने कहा की “इसी जनसंचार सभागार की साहित्यिक गोष्ठियों में अग्रज साहित्यकारों के सानिध्य में बैठने सुनने और सुनाने का अवसर प्राप्त होता रहा है,आज यदि प्रातः स्मरणीय गीतेश शर्मा जी होते तो अत्यंत हर्षित होते”।
सेराज खान ‘बातिश’ ने कहा कि ‘शब्दाक्षर’ के माध्यम से रवि प्रताप सिंह हिंदी साहित्य की अखिल भारतीय स्तर पर बहुमूल्य सेवा कर रहे हैं, उनके ग़ज़ल सँग्रह से प्राप्त सम्मान राशि को भी साहित्यहितार्थ समर्पित कर देना साहित्य के प्रति उनके समर्पण का परिचायक है।
दूसरे सत्र में चंदा प्रहलादका की सुमधुर सरस्वती वंदना एवं शायर इदरीश के नातिया कलाम से दक्षिण कोलकाता के जिला अध्यक्ष प्रदीप कुमार धानुक के संचालन में काव्य अनुष्ठान का शुभारम्भ हुआ। मंचासीन रचनाकारों के अतिरिक्त काव्य-सत्र में विभिन्न विधाओं की रचनाओं से काव्य-छटा बिखेरने वाले कवि-कवयित्रियों में शामिल थे-सर्वश्री प्रभात चन्द्र तिवारी, सुधा मिश्रा द्विवेदी, फिरोज़ अख्तर, डा. उर्वशी श्रीवास्तव, अनीसा साबरी, आसिफ़ शेख, सागर शर्मा ‘आजाद’, सुरेश शॉ, सेराज खान ‘बातिश’, विनय जायसवाल, मुस्तर इफ़्तेखारी, सहर मजीदी, अनुज कुमार ‘प्रेमी’, डॉ. राजन शर्मा, शकील अनवर, चंदा प्रहलादका, फौजिया अख्तर ‘रिदा’, प्रदीप धानुक, डॉ. शाहिद फरोगी, डॉ. मनोज मिश्र, चंद्रिका प्रसाद पांडेय ‘अनुरागी’, धर्मदेव सिंह, राम नारायण झा ‘देहाती’, प्रो.जीवन सिंह, कमला पति पांडेय ‘निडर’, ओम बिहानी, एवं यूसफ अख्तर।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ‘शब्दाक्षर’ प्रो.जीवन सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ इस साहित्यिक सन्ध्या का समापन हुआ।