कोलकाता, 7 जून । पश्चिम बंगाल सरकार अब राज्य में यौन उत्पीड़न से संबंधित मेडिकल रिपोर्ट विस्तृत तौर पर जारी नहीं करेगी। राज्य सरकार ने शुक्रवार को बलात्कार और अन्य यौन अपराधों के मामलों में मेडिकल रिपोर्ट को संक्षिप्त बनाने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर  जारी कर दिया है।

यौन उत्पीड़न के मामलों में मेडिकल जांच रिपोर्ट को सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक साक्ष्य माना जाता है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने एक अधिसूचना जारी करते हुए सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि यौन उत्पीड़न के मामलों में पहले से तैयार की जा रही रिपोर्ट के प्रारूप में बदलाव किया जाए। इसे 16 से 30 पृष्ठों की जगह दो-पृष्ठों में समेटा जाए।

सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट के संक्षिप्त प्रारूप में वह सभी महत्वपूर्ण बिंदु होंगे, जो जांच के लिए सहायक हैं। इसमें किसी भी तरह की कमी की कोई गुंजाइश नहीं है। इनमें यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम सबसे महत्वपूर्ण है।

उल्लेखनीय है कि पिछले प्रारूप में विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने में बहुत समय लगता था, जिससे रिपोर्ट जांच अधिकारी के पास देरी से पहुंचती थी। इससे बलात्कार या अन्य यौन अपराधों के मामले में जांच देरी से शुरू होती थी।

राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक सूत्र ने बताया, “इस नए तरीके से रिपोर्ट तैयार करने में काफी हद तक तेजी आएगी। साथ ही काम के बोझ के तले दबे डॉक्टरों का समय भी बचेगा।

बलात्कार और यौन अपराधों के मामले में मेडिकल रिपोर्ट को अधिक संक्षिप्त और सटीक बनाने का प्रस्ताव पहली बार नवंबर 2022 में पॉक्सो अधिनियम 2012 के कार्यान्वयन पर राज्य स्तरीय हितधारकों के सेमिनार में रखा गया था।

 

पिछले साल मसौदा रिपोर्ट तैयार होने के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने नए प्रारूप को अंतिम रूप देने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। अब यह नया प्रारूप राज्य सरकार के अधिकारियों को भेजा गया है। पश्चिम बंगाल सरकार जनवरी 2023 से इसको लेकर विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर रही थी।