नईदिल्ली/कोटा, 13 मई। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सोमवार को कक्षा-10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित कर दिया। दोनों परीक्षाओं में बेटियां आगे रही। इस वर्ष कोई मेरिट सूची जारी नहीं की गई है। दोपहर से उमंग एप पर परीक्षार्थी अपना रिजल्ट देखते रहे।

12वीं बोर्ड परीक्षा में 16.21 लाख परीक्षार्थियों में से 14,26,420 (87.98 प्रतिशत) पास हुये हैं। अजमेर जोन का रिजल्ट 89.53 प्रतिशत रहा। सीबीएसई जोन में त्रिवेंद्रम जोन का रिजल्ट 99.91 प्रतिशत रहा जबकि सबसे कम भोपाल जोन का 82.46 प्रतिशत रहा। सीबीएसई के अनुसार, इस वर्ष 24 हजार विद्यार्थियों को 95 प्रतिशत से अधिक अंक मिले, जबकि 1.16 लाख विद्यार्थी 90 प्रतिशत से अधिक अंकों से पास हुये हैं। इस वर्ष 1.22 लाख को पूरक परीक्षा देनी होगी। इसमें वे एक विषय में अपना प्रदर्शन सुधार सकेंगे। 12वीं बोर्ड के रिजल्ट में 91.52 प्रतिशत छात्रायें एवं 85.12 प्रतिशत छात्र पास हुये हैं। इस वर्ष 12वीं बोर्ड के 18,417 स्कूलों से कुल 17 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हुये, जबकि 10वीं बोर्ड के 25724 स्कूलों से कुल 22.81 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हुये थे।

देश में सीबीएसई 10वीं बोर्ड का रिजल्ट 93.60 प्रतिशत रहा, जो गत वर्ष से 0.48 प्रतिशत बेहतर है। इनमें 94.75 प्रतिशत छात्रायें एवं 93.60 प्रतिशत छात्र पास हुये हैं। इस वर्ष 2.04 प्रतिशत बेटियां अधिक पास हुई। 10वीं पूरक परीक्षा में विद्यार्थी दो विषयों में अपना प्रदर्शन सुधार सकते हैं। यह परीक्षा 15 जुलाई से होगी।

परीक्षा नियंत्रक डॉ.संयम भारद्वाज के अनुसार, सीबीएसई एकमात्र ऐसा बोर्ड है जिसने भारत सहित 26 देशों में दोनो परीक्षाओं के लिये 200 विषयों के 400 पेपर तैयार किये थे। कुल 23,961 कम्प्यूटर टीचर्स ने मूल्यांकन किया है। 12वीं बोर्ड परीक्षा 47 दिनों में एवं 10वीं बोर्ड परीक्षा 28 दिन में आयोजित की गई।

40 फीसदी प्रश्न कॉम्पिटेंसी बेस्ड पूछे

इस वर्ष 12वीं बोर्ड परीक्षा के पेपर में 40 प्रतिशत प्रश्न कॉम्पिटेंसी आधारित पूछे गये, जो प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की तर्ज पर रहे। इससे परीक्षार्थियों को अच्छा स्कोर करने में मदद मिली। इस वर्ष पेपर पेटर्न में बदलाव से 0.65 प्रतिशत रिजल्ट बेहतर रहा। इस वर्ष कोटा शहर के सभी सीबीएसई स्कूलों के रिजल्ट का विश्लेषण जारी नहीं हुआ। स्कूल अपने स्तर पर सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते रहे। इस व्यवस्था से शहर में बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट के बाद जश्न जैसा वातावरण नहीं बन सका।