नई दिल्ली, 08 मई। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने बुधवार को कहा कि थैलेसीमिया से बचाव के लिए जागरुकता जरूरी है। सही समय पर इसकी रोकथाम करके ही इस बीमारी के बोझ को कम किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपूर्व चंद्रा ने कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए समय पर पता लगाना और रोकथाम सबसे प्रभावी रणनीति है। देश में थैलेसीमिया के लगभग 1 लाख मरीज हैं, हर साल लगभग 10 हजार नए मामले सामने आते हैं।
अपूर्व चंद्रा ने कहा कि अभी भी बहुत से लोग इस बीमारी से अनजान हैं कि इसे कैसे रोका जा सकता है। यह जरूरी है कि इस क्षेत्र के सभी हितधारक थैलेसीमिया पर जागरूकता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान में सहयोग करें। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में उन्होंने थैलेसीमिया की प्रभावी रोकथाम के तरीकों और इष्टतम उपचार को बढ़ावा देने के लिए इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड थैलेसीमिक्स इंडिया के सहयोग से बनाया गया एक वीडियो लॉन्च किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने रोग की व्यापकता को कम करने के साधन के रूप में एनएचएम के तहत मौजूदा प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) कार्यक्रमों में अनिवार्य थैलेसीमिया परीक्षण को शामिल करने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने इसे अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों और गतिविधियों में शामिल किया है।