नई दिल्ली, 15 अप्रैल । भारत में ला नीना प्रभाव के कारण इस बार मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है। हालांकि वर्षा वितरण और काल अवधि में अंतर के चलते कुछ स्थानों पर ज्यादा और कम वर्षा हो सकती है।

ला नीना समुद्री धाराओं के प्रभाव से समुद्र के तापमान में कमी दर्शाता है। अल नीनो यानी समुद्र के तापमान में वृद्धि की स्थिति से ला नीना की स्थिति में आने से अक्सर अधिक वर्षा होती है। भारत में वर्ष दर वर्ष सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है। हालांकि वर्षा का वितरण और काल अवधि घटने के कारण कुछ स्थानों पर थोड़े समय के लिए अधिक वर्षा देखी जाती है। इससे बाढ़ और सूखे जैसे हालात पैदा होते हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भारत में चार महीने के मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है और संचयी बारिश लंबी अवधि के औसत (87 सेमी) की 106 प्रतिशत होने का अनुमान है।

उन्होंने बताया कि इस समय मध्यम अल नीनो की स्थिति बनी हुई है। अनुमान है कि मानसून का मौसम शुरू होने तक यह लगभग सामान्य हो जाएगी। इसके बाद ला नीना की स्थिति अगस्त-सितंबर तक बनने लगेगी।

उल्लेखनीय है कि भारत में लगभग 70 प्रतिशत वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के चलते होती है। यह वर्षा कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है।