कोलकाता, 11 अप्रैल । पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के अगुवा के रूप में माकपा ने कांग्रेस और दूसरे सहयोगियों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए लचीला रुख अपनाने का फैसला किया है।
समझौता फार्मूले के तहत माकपा नेतृत्व ने पूर्व मेदिनीपुर जिले की कांथी लोकसभा सीट पर अपना दावा छोड़ने का फैसला किया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक इसकी जगह कांग्रेस से निकटवर्ती पश्चिम मेदिनीपुर जिले में घाटाल निर्वाचन क्षेत्र पर दावा छोड़ने का अनुरोध किया गया है, जहां वाम मोर्चा सहयोगी माकपा ने पहले ही उम्मीदवार खड़ा कर रखा है।
माकपा की एक केंद्रीय समिति के सदस्य ने कहा कि बातचीत के बाद कांग्रेस नेतृत्व सैद्धांतिक रूप से हमारे प्रस्ताव पर सहमत हो गया है। इसका मतलब यह है कि पश्चिम बंगाल में एक भी निर्वाचन क्षेत्र ऐसा नहीं होगा, जहां कांग्रेस के उम्मीदवार माकपा के खिलाफ या दो अन्य वाम मोर्चा सहयोगियों सीपीआई और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। अब कांग्रेस-वाम मोर्चा सीट-बंटवारे में एकमात्र बाधा वाम मोर्चे की एक अन्य सहयोगी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक है। फॉरवर्ड ब्लॉक ने राज्य की उन तीन लोकसभा सीटों में से किसी पर भी समझौता करने से इनकार कर दिया है, जहां वह पहले चुनाव लड़ती थी। राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता नेपाल महतो के समर्थन में पुरुलिया लोकसभा क्षेत्र से हटने की माकपा नेतृत्व की बार-बार अपील के बावजूद, फॉरवर्ड ब्लॉक ने वहां से अपना उम्मीदवार खड़ा कर रखा है।
दिलचस्प बात यह है कि अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के मामले में, वाम मोर्चा के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस द्वारा संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में किया गया था। इसमें मोर्चे के सभी सहयोगियों के नेता शामिल थे। लेकिन पुरुलिया के मामले में उम्मीदवार के नाम की घोषणा फॉरवर्ड ब्लॉक द्वारा स्वतंत्र रूप से की गई। इससे अन्य सहयोगी दल, विशेष रूप से सीपीआई (एम) नाराज है। उसने इस कदम को बोस जैसे वरिष्ठ नेता की उपेक्षा करार दिया है। अब तक की स्थिति के अनुसार, फॉरवर्ड ब्लॉक कूचबिहार और पुरुलिया में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के अलावा कांग्रेस के खिलाफ भी मैदान में है।