कोलकाता, 18 मार्च। ‘बंगाल की भाषा, संस्कृति और लोक-कला का प्रचार-प्रसार ही मेरे जीवन का उद्देश्य रहा है। विश्व के विभिन्न स्थानों में भी मैंने इसी भाषा और संस्कृति को जिया है।’

यह बात बाउल गान को समर्पित पद्मश्री से सम्मानित लोक गायक पं. पूर्ण दास बाउल ने स्थानीय जीडी बिड़ला सभागार में कही। वे महानगर की विख्यात साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था ‘संस्कृति सौरभ’ द्वारा ‘संस्कृति सौरभ सम्मान-2023’ को ग्रहण करते हुए अपनी पत्नी, पुत्र, पुत्रवधू और शिष्यों के साथ उपस्थित थे। उन्होंने पुत्र दिब्येंदु दास एवं टीम के साथ अपने गायन से समां बांध दिया।

संस्था द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाले सम्मानों की कड़ी में यह छठवां सम्मान था। इसके पहले जनाब शीन काफ निज़ाम, पं. बिरजू महाराज, पं. जसराज, डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र और पं. हरिप्रसाद चौरसिया इस सम्मान से अभिनंदित हो चुके हैं। पं. पूर्ण दास बाउल को यह सम्मान प्रसिद्ध कलाकार और लेखक बरुण चंदा के कर कमलों से दिया गया, जिसमें प्रशस्ति पत्र, श्रीफल, तिलक, माला, शॉल के साथ एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि सम्मिलित है। मंच पर उनका स्वागत संस्था के संरक्षक महावीर प्रसाद मणकसिया और संस्था के कार्यकारिणी सदस्य राजेंद्र खंडेलवाल ने किया। अजयेन्द्र नाथ त्रिवेदी के द्वारा किए गए मंत्रोच्चार और सुतापा दत्ता की शंख ध्वनि के बीच हुए इस सम्मान में पूरे सभागार ने एक साथ करतल ध्वनि की। सरिता बेंगानी ने तिलक द्वारा उनकी अभ्यर्थना की। प्रख्यात उद्योगपति राधेश्याम गोयनका ने पूर्ण दास को पुष्प हार से सम्मानित किया ।

संस्था के उपाध्यक्ष विनीत रुइया ने वरुण चंदा को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। लीला शाह ने तिलक लगाकर वरुण चंदा की अभ्यर्थना की। संस्थापक सदस्य महेश चंद्र शाह ने प्रतीक चिह्न प्रदान किया। वरुण चंदा ने अपने संबोधन में इस आयोजन के लिए ‘संस्कृति सौरभ’ की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

कार्यक्रम के आरंभ में संस्था के अध्यक्ष राममोहन लखोटिया ने सभी का स्वागत करते हुए आज के दिन को अत्यंत विशिष्ट बताया। कार्यक्रम के संयोजक विजय कनोडिया ने सम्मान समारोह की अवधारणा और इसके पीछे संस्था की सोच के बारे में जानकारी दी। सचिव विमल नौलखा ने इस कार्यक्रम का प्रभावी संचालन करते हुए ‘संस्कृति सौरभ’ की विकास यात्रा पर भी प्रकाश डाला। साथ ही पं. पूर्ण दास को 91 वर्ष पूर्ण करने की बधाई भी दी। निवर्तमान अध्यक्ष प्रमोद शाह ने बंग-संस्कृति की गौरवशाली परम्परा की प्रशंसा करते हुए दोनों का परिचय दिया। प्रदीप जीवराजका ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। सुभाष सोंथलिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यकारिणी सदस्य माधव सुरेका ने पूर्व सचिव प्रदीप कलानेरिया का संस्था के प्रति विशेष योगदान के लिए स्वागत किया। कार्यक्रम में चित्रा नेवटिया, बृजेश हिम्मतसिंहका के अतिरिक्त सुमित झुनझुनवाला, सुनील अग्रवाल, कामेश्वर आदि ने व्यवस्थाएं संभालीं। बॉबी चक्रवर्ती, रीता घोषाल, सुदेशना चक्रवर्ती, शिल्पी चक्रवर्ती, तथागत भट्टाचार्य, आकांक्षा राय, कौशिक किशोर, हिंगलाज दान रतनू, दिनेश वढेरा, राजेंद्र कानूनगो, कमलेश मिश्र सहित संस्कृति, साहित्य, कला, संगीत और पत्रकारिता के क्षेत्र से महानगर की कई विभूतियां उपस्थित थीं।