नई दिल्ली, 24 फरवरी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति जुनून को त्यागने और सामान्य नौकरी के अवसरों से परे देखने के लिए प्रोत्साहित किया। धनखड़ ने जोर देकर कहा कि भारत को आपसे न केवल कर्मचारियों के रूप में बल्कि नवप्रवर्तकों, उद्यमियों और परिवर्तन निर्माताओं के रूप में उम्मीदें हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने भारत के विशाल और अभूतपूर्व उत्थान की ओर ध्यान आकर्षित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत आज संभावनाओं से भरा हुआ है और वैश्विक व्यवस्था को परिभाषित कर रहा है। उन्होंने भारत को आशा और अवसरों की भूमि बताया और कहा कि हमारा अमृत काल विकसित भारत@2047 के लिए एक लॉन्चपैड है।
उन्होंने स्नातक छात्रों से कहा कि बेहतर भविष्य उनका होता है, जो सामान्य से परे बड़े और साहसी सपने देखने का साहस करते हैं।
एक वैश्विक नेता के रूप में अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भारत के प्रभावशाली उदय का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया अब भारत की नरम कूटनीति को एक स्थिर शक्ति और वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में पहचानती है। उन्होंने इस संबंध में एक शानदार सफलता के रूप में जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप व्यापार मार्ग की घोषणा का हवाला दिया।
देश में पारदर्शी शासन पारिस्थितिकी तंत्र की प्रशंसा करते हुए धनखड़ ने कहा कि भ्रष्टाचार के काले बादल जो लंबे समय तक हमारे देश पर छाये रहे थे, अब गायब हो गए हैं। शासन, बाधा बनने की बजाय अब सक्षम बना रहा है।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि अब अवसर योग्यता से तय होते हैं, संरक्षण से नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा, “लोकतंत्र के लिए सर्वोत्कृष्ट कानून के समक्ष समानता अब केवल एक संवैधानिक आदर्श नहीं है बल्कि यह एक स्वीकृत वास्तविकता है।”
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, एसडीसी के निदेशक प्रो. प्रकाश सिंह, सीओएल की निदेशक प्रोफेसर पायल मागो, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गण्यमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।