प्रवासी साहित्य  सेमिनार में राज्यपाल डा.सी.वी. आनंद बोस की दो पुस्तकों का लोकार्पण

– सात दिवसीय व्यावहारिक अनुवाद कार्यशाला का समापन

कोलकाता, 23 फरवरी।  पश्चिम बंगाल के राज्यपाल महामहिम डा. सी.वी. आनंद बोस ने अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के मौके पर कहा कि आज मातृ वंदन दिवस है। मातृ भाषा माँ है व अन्य भाषाएँ धाय माँ है।

राज्यापल समर्पण ट्रस्ट, हिंदी विश्वविद्यालय तथा बाबा साहेब डा. अंबेडकर शिक्षण विश्वविद्यालय की ओर से   इजेडसीसी में आयोजित प्रवासी साहित्य विषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, सात दिवसीय व्यावहारिक अनुवाद कार्यशाला समापन समारोह तथा पुस्तक लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि मातृ भाषा आंतरिक भाषा है। मातृ भाषा की शक्ति अजेय है। हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। बांग्ला मातृ भाषा है। जन्मभूमि और मातृ भाषा हमारी इज्जत का प्रतीक है। राज्यपाल ने अपनी पुस्तक ‘मूल से फूल तक’ व ‘अष्टभारती’ तथा समर्पण द्वारा प्रकाशित एवं आचार्य राकेश जी पांडे द्वारा रचित ‘पंचांग के दसवें संस्करण’ का लोकार्पण किया।

इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि बंगाल का राज्यपाल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। राज्यपाल ने इस मौके पर केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में पदस्थ कनिष्ठ अनुवादक, वरिष्ठ अननुवादक, हिंदी अनुवादक तथा राजभाषा अधिकारी अभिषेक कुमार प्रसाद, अमर साव, ओमप्रकाश पंडित, उपेंद्र साव, गोबिंद चौधरी, दिलीप कुमार मिश्रा, नितिश कुमार साव, बिकास कुमार साव, भरत सिंह राजपूतस राहुल साव, विमल कुमार साव, संजय प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, डा. सुरश्री दत्ता तथा हेमंत कुमार यादव को अनुवाद साहित्य सम्मान से सम्मानित किया।

अनुवादकों ने कहा कि राज्यपाल से सम्मानित होना उनके सुखद पल है और वे इसके लिए समर्पण ट्रस्ट के प्रति साधुवाद ज्ञापित करते हैं। सात दिवसीय व्यावहारिक अनुवाद कार्यशाला में देश विदेश से प्रशिक्षण दे रहे विषय विशेषज्ञों को भी गवर्नर ने सम्मानित किया।

विषय विशेषज्ञ के तौर पर डा. शंभू प्रसाद, विजय कुमार यादव, नवीन कुमार प्रजापति, राजीव कुमार रावत, भारत भूषण पांडेय, भरत सिंह राजपूत, डा. सुधा तिवारी, डा. ऋषिकेश राय, प्रो. राजश्री शुक्ला, पूर्व प्रोफेसर चंद्रकला पांडेय, कौशल किशोर त्रिवेदी, हेमंत कुमार यादव ने श्रेष्ठ अनुवाद विषयक प्रशिक्षण दिए।

राज्यपाल की पुस्तकों पर चर्चा करते हुए संस्कृतविद्य नृसिंह प्रसाद भादुड़ी ने कहा कि भाषा बहता नीर है और इस नीर की नीरवता पुस्तक में दिखती है। सुप्रसिद्ध लेखिका तथा नाटिंघम आर्ट्स कौंसिल की पूर्व अध्यक्ष जय वर्मा ने कहा कि राज्य की पुस्तक ‘मूल से फूल’ तक जीवन की अनुभूति है। इस पुस्तक में संस्कृति, विज्ञान, दर्शन सबकुछ है। इस पुस्तक में समाज के नकारात्मक व सकारात्मक दोनों पक्ष है। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की संपादक डा. अमिता दुबे ने राज्यपाल की पुस्तकों के संबंध में कंहा कि इसमें महामहिम के जीवन के अनुभव मिलते हैं। उन्होंने सुंदर चित्रों के संयोजन से इसे और अधिक बोधगम्य बनाया है। इस पुस्तक के माध्यम से पाठक को अभिलेख प्राप्त होंगे।

बहुचर्चित अनुवादक व पेन इंडिया लेखक संतोष एलेक्स इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह एक अनोखी किताब है। इस किताब में 50 आलेख है। महामहिम गांधी जी के वचनों के माध्यम से अपनी जरूरते कम करने की बात प्रस्तुत करते हैं। सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखने की बात करते हैं। वे पानी के स्रोतों को बचाने तथा पर्यावरण के संरक्षण की बात करते हैं। मूल से फूल नेकी की किताब है। हतोत्साहित को प्रोत्साहित करने की किताब है।

समर्पण ट्रस्ट के ट्रस्टी प्रदीप ढेडिया ने कहा कि राज्यपाल की पुस्तक का लोकार्पण कराकर ट्रस्ट खुद को गौरवांवित महसूस कर रहा है। अनुवाद कार्यशाला, अंतरराष्ट्रीय सेमिनार तथा पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम के संयोजक प्रो. प्रतीक सिंह ने भविष्य में और बेहतर कार्यक्रमों के सफल आयोजन की कामना कीं।

कार्यक्रम का संचालन डा. गौस्वामी जे.के. भारती ने किया।

इस मौके पर हिंदी विवि के कुलपति प्रो. विजय कुमार भारती, बाबा साहेब अंबेडकर शिक्षण विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सोमा बंदोपाध्याय, रावेल पुष्प, समाजसेवी, उद्योगपति भानीराम सुरेका, पूर्ति समूह के चेयरमैन महेश अग्रवाल, ट्रस्ट के सभापति श्याम लाल अग्रावल, ट्रस्ट के जनसंपर्क सचिव अभ्युदय दुग्गड़, बसंत सेठिया समेत अन्य गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में आनंद ढेडिया, विनय भरतिया, हरी सोनी, अमन ढेडिया एवं सौरभ अग्रवाल की प्रमुख भूमिका रही।