अल्पसंख्यक मतदाता निभाते हैं निर्णायक भूमिका

कोलकाता, 22 फरवरी । लोकसभा चुनाव का आगाज होने वाला है। उसके पहले पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मी तेज है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन में रहने के बावजूद ममता बनर्जी ने राज्य में सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है। राज्य की कई सीटें हाई प्रोफाइल हैं, जिनमें मुर्शिदाबाद की बहरमपुर सीट भी है। यहां से मौजूदा सांसद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी हैं और वह पिछले पांच बार से सांसद रहे हैं।

1952 में देश में पहले संसदीय चुनाव में त्रिदिव चौधरी जीते थे और वह 1984 तक सात बार सांसद रहे। उसके बाद सबसे लंबे समय तक सांसद रहने वालों में अधीर चौधरी शामिल हो गए हैं। हालांकि हाल के कुछ चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी अधीर के लिए कड़़ी चुनौती पेश करने की कोशिश करती रही है। यह और बात है कि इस कोशिश में सत्तारूढ़ पार्टी को सफलता नहीं मिली है।

निर्णायक हैं अल्पसंख्यक मतदाता, दिलचस्प है इतिहास

बहरमपुर लोकसभा सीट इसलिए भी काफी अहम मानी जाती है क्योंकि यहां शुरू से ही अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक भूमिका में रहे हैं। बहरमपुर कांग्रेस का पुराना गढ़ है। बहरमपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कांदी, बरवा, भरतपुर, रेजीनगर, बेलडांगा, बहरमपुर, नउदा विधानसभा क्षेत्र आते हैं।

यह क्षेत्र मुर्शिदाबाद जिले में आता है। इस क्षेत्र पर मुर्शिद कुली खान का शासन रहा। यहां तब की मस्जिदें, मकबरे और उद्यान बने हुए हैं। निजामत किला, हज़ार्डियरी पैलेस, मोतीझील यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शामिल हैं। इस क्षेत्र में हाथी दांत, सोने और चांदी की कढ़ाई और रेशम की बुनाई के कई कारखाने हैं। यह प्रदेश की राजधानी कोलकाता से करीब 200 किलोमीटर दूर है।

2019 में अधीर ने तृणमूल के उम्मीदवार को दी थी मात

बहरामपुर में कांग्रेस उम्मीदवार और मौजूदा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार अपूर्बा सरकार को 2019 के लोकसभा चुनाव में हराया था। उन्होंने 80 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।

इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल की राजनीति में दमखम रखने वाले अधीर रंजन चौधरी का दबदबा रहा है। अधीर चौधरी 1999 में बहरामपुर सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की। उसके 2004, 2009, 2014 और 2019 में लगातार इस सीट से सांसद चुने गए। जाहिर तौर पर इस बार भी कांग्रेस की ओर से अधीर रंजन चौधरी के ही चुनावी मैदान में उतरने की संभावना है। देखना होगा कि ममता बनर्जी उनके खिलाफ किसे उम्मीदवार बनाती है और भाजपा किस पर दांव लगाती है।

कुल मतदाता- 14,53,783

पुरुष वोटरों की संख्या- 7,52,943

महिला वोटरों की संख्या- 7,00,833

उल्लेखनीय है कि पिछले दो संसदीय चुनाव में तृणमूल कांग्रेस अधीर के मजबूत गढ़ में सेंध लगाने की पुरजोर कोशिश करती रही है। हालांकि अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण की उसकी कोशिश अब तक कामयाब नहीं हुई क्योंकि यहां के अल्पसंख्यक मतदाताओं में भी अधीर चौधरी का खासा क्रेज रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के चुनाव में अधीर का चुनावी किला बचता है या नहीं।