-कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने बताये श्रेष्ठ अनुवादक के गुण
कोलकाता, 19 फरवरी। भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव (हिंदी, शिक्षा एवं संस्कृति) एवं महात्मा गांधी सांस्कृतिक सहयोग संस्थान, स्पेन बंदरगाह, त्रिनिदाद एवं टोबैगो के निदेशक शिव कुमार निगम ने कहा है कि अनुवाद दो भाषायिक संस्कारों और संस्कृतियों को आपस में जोड़ता है। अनुवाद वैश्विक स्तर पर संचार व सम्प्रेषण को सुविधाजनक बनाता है।
शिव कुमार निगम समर्पण ट्रस्ट, बाबा साहेब अंबेडकर शिक्षण विश्वविद्यालय तथा हिंदी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय व्यावहारिक अनुवाद कार्यशाला के द्वितीय दिन आभासी तौर पर बोल रहे थे। अपने वक्तव्य में उन्होंने अनुवाद के क्षेत्र में उपलब्ध वैश्विक अवसरों पर भी बात की और कार्यशाला के प्रतिभागियों को लाभान्वित किया।
टी बोर्ड, वाणिज्य मंत्रालय के सचिव डॉ ऋषिकेश राय ने “हिंदी से अंग्रेजी एवं अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद की समस्याएं एवं समाधान” विषय पर बातचीत करते हुए कहा कि विश्व में लगभग 5 हजार भाषाएं है और 12 भाषा परिवार है।
अनुवाद सिर्फ भाषा का ही नहीं होता बल्कि संस्कृतियों का भी होता है। अनुवाद करते समय हमें लक्ष्य भाषा की संस्कृति जानना बेहद जरूरी होता है अन्यथा अनुवाद सटीक नहीं हो पायेगा।
द्वितीय दिन के द्वितीय सत्र में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर के हिंदी अधिकारी हेमंत कुमार यादव ने सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बड़े ही सुंदर ढंग से बताया। उन्होंने कहा कि अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार की असीमित संभावनाएं है और दिन प्रतिदिन यह संख्या बढ़ती जायेगी।
कार्यशाला के तीसरे दिन के प्रथम सत्र में छात्रों को संबोधित करते हुए यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया के पूर्व मुख्य (राजभाषा) प्रबंधक शंभू प्रसाद ने कहा कि हमें मशीनी अनुवाद पर निर्भर नहीं होना चाहिए। भाषा का विकास प्रयोग से होता है और शब्द का प्रयोग भाषाई विस्तार करता है। अनुवादक में धैर्य की शक्ति होनी चाहिए।
इसी सत्र में यूको बैंक के पूर्व मुख्य प्रबंधक (राजभाषा) विजय कुमार यादव ने अनुवाद कर्म के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों का सूक्ष्म विवेचन किया। उन्होंने कहा कि अनुवादक को बेहतर अनुवाद कर्म के लिए भाषाई संस्कृति को जानना चाहिए।
तृतीय दिन के तृतीय सत्र में पश्चिम बंगाल सरकार के हिंदी मुख पत्र के संपादक व पत्रकारिता अध्येता डा. जयप्रकाश मिश्र ने दैनिक अखबारों में होने वाले अनुवाद की भ्रांतियों प्रक्रियाओं और पद्धति से अवगत कराया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को निजी क्षेत्र में अनुवाद के जरिये रोजगार के अवसरों के बारे में बताया।
चौथे सत्र में विषय विशेषज्ञ हेमंत यादव द्वारा व्यावहारिक अनुवाद संबंधी प्रायोगिक कक्षाएं चलायी गयी। चौथे दिन आनलाइन कक्षाएं संचालित हुई। कार्यशाला के पांचने दिन के प्रथम सत्र में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक नवीन कुमार प्रजापति ने कहा कि श्रेष्ठ अनुवाद के लिए भाषाई दक्षता काफी अनिवार्य चीज है। साथ ही उन्होंने व्याकरण सुधार पर जोर दिया।
वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय के महानिदेशक भरत सिंह राजपूत ने प्रशिक्षुओं से राजभाषा के इतिहास पर क्रमवार चर्चा की। कलकत्ता विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर तथा राज्यसभा की पूर्व सांसद चंद्रकला पांडेय ने संसद में राजभाषा संबंधी त्रुटियों व कठिनाईयों के संबंध में विस्तृत चर्चा की।
द्वितीय,तृतीय, चौथे व पांचवें दिन के विभिन्न सत्रों का संचालन प्रो. अभिजीत सिंह, प्रो. जे.के. भारती, प्रो. मंटू दास ने किया। कार्यशाला के संयोजक प्रो. प्रतीक सिंह ने बताया कि कार्यशाला का समापन अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के अवसर पर 21 फरवरी यानी बुधवार को ईजेडसीसी में होगा। समर्पण ट्रस्ट के ट्रस्टी प्रदीप ढेडिया ने कहा कि यह कार्यशाला कई अच्छे अनुवादकों को की फौज खड़ी करने में महती भूमिका निभायेगी।