झुंझुनू, 20 जनवरी। यूपी की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने अयोध्या में राजस्थान के 3 गैंगस्टर्स झुंझुनू के अजीत कुमार शर्मा, सीकर के शंकरलाल दुसाद और प्रदीप पूनिया को शुक्रवार दोपहर को संदिग्ध अवस्था में गिरफ्तार किया है। इनमें से एक गैंगस्टर ने खालिस्तानी समर्थकों से संपर्क में होने की बात कबूली है। तीनों को अयोध्या में रामजन्म भूमि की रेकी करने और वहां का नक्शा उपलब्ध कराने का टास्क मिला था। खालिस्तानी समर्थक इन्हें राजू ठेहट की हत्या का बदला लेने के लिए उकसा रहे थे।

आरोप है ये लोग कनाडा और अमेरिका में मौजूद खालिस्तानी समर्थकों से लगातार बातचीत करते थे। तीनो को गिरफ्तार करने के बाद झुंझुनू पुलिस से एक आरोपी अजीत कुमार शर्मा के बारे में जानकारी मांगी गई। वहीं अन्य दो आरोपियों को लेकर एटीएस के पास पहले से जानकारी थी। झुंझुनू के जिला पुलिस अधीक्षक देवेंद्र विश्नोई ने बताया कि यूपी एटीएस ने झुंझुनू जिले के अजाड़ी खुर्द गांव निवासी अजीत शर्मा को पकड़ा है। अजीत के खिलाफ झुंझुनू के सदर थाने में मामला दर्ज है। इसके बारे में परिजनों से पूछताछ कर अधिक जानकारी जुटाई जा रही है। यूपी एटीएस ने मुखबिर की सूचना पर यह कार्रवाई की है।

सीकर जिले के जाजोद थानाधिकारी अशोक कुमार के अनुसार अभी तक प्रदीप और शंकर के घर की तलाशी नहीं ली गई है ना ही उनके परिजनों से कोई पूछताछ की गई है। जेल से बाहर आने के बाद शंकरलाल दुसाद ज्यादातर जयपुर ही रहता था। हालांकि उसे पुलिस द्वारा चलाए गए कई अभियानों में पाबंद किया गया था। जबकि प्रदीप जयपुर में रहकर ही फाइनेंस का काम करता था।

यूपी एटीएस के अनुसार ये तीनों किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए ये अयोध्या के संवेदशील इलाकों में रेकी कर रहे थे। तीनों से पूछताछ की जा रही है। यूपी एटीएस के अनुसार उन्हे सूचना मिली थी कि एक गैंगस्टर अपने कुछ साथियों के साथ सड़क मार्ग से अयोध्या आ रहा है। सूचना पर एटीएस की टीम ने हरियाणा नंबर की सफेद स्कॉर्पियो की तलाश ली और इन्हें पकड़ा।

यूपी एटीएस की पूछताछ में सामने आया कि 2016 से लेकर मई 2023 तक शंकरलाल दुसाद बीकानेर जेल में बंद था। इसके बाद वह जमानत पर बाहर आया था। जेल में रहने के दौरान इसकी मुलाकात लखविंदर से हुई। उसने ही शंकरलाल दुसाद को कहा कि जेल से बाहर जाने के बाद मेरे भांजे पम्मा से मुलाकात कर लेना। जेल से छूटने के बाद शंकरलाल दुसाद पम्मा से मिला। जिसने उसे कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थक गैंगस्टर सुखबिंदर गिल का नंबर दिया। दोनों के बीच वॉट्सऐप कॉल के जरिए बातचीत होने लगी।

पूछताछ में शंकर दुसाद ने बताया कि सुखबिंदर कहता था कि तुम्हारी गैंग के लोगों को और खालिस्तान समर्थकों को लॉरेंस बिश्नोई और उसके लोगों ने मारा है। तुम बदला लेने में हम लोगों की मदद करो। लेकिन 2023 में कनाडा में सुखविंदर की हत्या हो गई। इसके बाद शंकर की बातचीत खालिस्तान समर्थक हरमिंदर से होने लगी। उसने शंकर को कहा कि गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा है कि अयोध्या जाकर वहां का नक्शा भेजो और अगले ऑर्डर के लिए इंतजार करो। इसलिए शंकर और उसके दोनों साथी अपनी गाड़ी पर भगवान श्री राम के झंडे लगाकर अयोध्या घूम रहे थे।

जांच में सामने आया है कि शंकर लाल गैंगस्टर राजू ठेहट का करीबी रह चुका है। 2022 में राजू की मौत होने के बाद गैंग के ज्यादातर काम यही देखा था। जेल से छूटने के बाद इसने मेघालय में माइनिंग और राजस्थान में ट्रांसपोर्ट का काम भी शुरू किया। जेल से बाहर आने के बाद यह अपने गांव जाजोद और जयपुर में ज्यादा रहता था। पूछताछ में शंकरलाल ने बताया है उसे खालिस्तानी समर्थकों से लगातार निर्देश मिलते रहते थे।

घटना में शामिल अन्य आरोपी प्रदीप पूनिया पुत्र राजेंद्र सिंह भी जाजोद थाना इलाके के ढालियावास गांव का रहने वाला है। वहीं अजीत कुमार शर्मा झुंझुनू का। जेल से बाहर आने के बाद शंकर के साथ ज्यादातर अजीत और प्रदीप की रहते थे।

इन तीनों के गिरफ्तार होने के बाद प्रतिबंधित संगठन सिक्ख फॉर जस्टिस के मुखिया गुरपतवंत ने एक ऑडियो भी जारी किया है। जिसमें तीनों को संगठन का सदस्य होना बताया है। फिलहाल इस पूरे मामले में जांच जारी है। एटीएस को शंकरलाल दुसाद के पास से दो फेक आईडी, धर्मवीर के नाम से फर्जी सिम कार्ड, फर्जी डॉक्यूमेंट की गाड़ी मिली है। जांच में सामने आया है कि उन्होंने अयोध्या में कई ऐसे एरिया में भी ट्रैवल किया जो संवेदनशील है। झुंझुनू जिले के अजाड़ी खुर्द गांव के अजीत कुमार शर्मा के खिलाफ वर्ष 2022 में अपहरण व मारपीट का मामला दर्ज है। इसी तरह से शंकरलाल दुसाद के खिलाफ सात मामले हैं। जिसमें 2014 में बीकानेर सेंट्रल जेल में बलवीर बानूड़ा की हत्या की साजिश करने का मामला भी शामिल है। ज्यादातर मामलों में वह बरी हो चुका है।

इधर अजीत शर्मा के परिजनों को भी यूपी एटीएस ने फोन कर अजीत शर्मा की गिरफ्तारी की जानकारी दी है। जिसके बाद परिवार के लोग भी लखनउ जाने की तैयारी कर रहे है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि अजीत दो-तीन दिन पहले अयोध्या घूमने के लिए गया था। वह किसी प्रकार की संदिग्ध या फिर आपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकता।