कोलकाता, 19 जनवरी। कोलकाता में अगर कहीं भी कोयल का चूल्हा जलाया या आग फूंकी तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है। शहर में पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लंबे समय से चल रहे आह्वान पर कार्रवाई करते हुए कोलकाता पुलिस ने सड़क किनारे भोजनालयों में अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले कोयले या लकड़ी के ओवन के इस्तेमाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है।
शहर पुलिस मुख्यालय ने शहर के सभी ट्रैफिक गार्डों को अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में ऐसे सड़क किनारे भोजनालयों की एक सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। ट्रैफिक गार्ड इसे शहर के पुलिस मुख्यालय को भेजेंगे, जो अंतत: ट्रैफिक गार्ड द्वारा भेजी गई व्यक्तिगत रिपोर्ट को संकलित करेगा और अंतिम रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को भेजेगा। अनुमान के मुताबिक, कोलकाता में 10 हजार स्ट्रीट फूड विक्रेता हैं। उनमें से अधिकांश कोयले या लकड़ी के ओवन का उपयोग करते हैं, जिससे उत्सर्जित होने वाली प्रदूषक गैस खतरनाक है। करीब दस साल पहले स्ट्रीट फूड वेंडरों के मालिकों को इलेक्ट्रिक ओवन वितरण को लेकर प्रक्रिया शुरू की गयी थी। यह प्रक्रिया कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में साल्ट लेक से शुरू हुई।वर्तमान में, केवल लगभग 750 स्ट्रीट फूड विक्रेता इलेक्ट्रिक ओवन के साथ काम कर रहे हैं। जबकि, अन्य कोयले और लकड़ी के ओवन के साथ काम कर रहे हैं और कुछ केरोसिन-गैस के साथ काम कर रहे हैं।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने बताया कि शहर पुलिस को केवल एनजीटी में रिपोर्ट तैयार करने और दाखिल करने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि, सार्वजनिक स्थानों पर अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले ओवन के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, कार्यकर्ताओं का मानना है कि पुलिस को भी इस मुद्दे पर निरंतर जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिए। जबकि, राज्य सरकार को विक्रेताओं को कोयले या लकड़ी के ओवन को इलेक्ट्रिक ओवन से बदलने में मदद करने के लिए कुछ वित्तीय सहायता योजनाओं पर विचार करना चाहिए।